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चारधाम यात्रा को लेकर CM पुष्कर सिंह धामी ने तैयारियों का लिया जायजा, अधिकारियों को दिए कई निर्देशChar Dham Yatra 2024: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू होने जा रही है. इसकी तैयारियों की समीक्षा करने खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) बुधवार को रुद्रप्रयाग पहुंचे. CM धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा की तैयारियों के संबंध में जरूरी निर्देश दिए गए हैं. नोडल अधिकारियों को तैयारियों को जल्द से जल्द पूर्ण करने को कहा गया है.
साथ ही बैठक में वनाग्नि से बेहाल प्रदेश में किए जा रहे उपायों पर चर्चा की गई. आग बुझाने के लिए सभी उपाय करने पर चर्चा हुईं. इसके अलावा बैठक में मानसून को लेकर की जा रही तैयारियों पर भी चर्चा की गई.
इस अवसर पर केदारनाथ यात्रा निर्देशिका का विमोचन एवं यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सहायता के लिए चयनित यात्रा (धर्म) मित्रों को ट्रैकसूट भी प्रदान किए गए.
VIDEO | Forest fire: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) reviews situation on the ground in Rudraprayag. Directs officials to take necessary steps to prevent and control incidents of forest fire in the region. #forestfire
(Source: Third Party) pic.twitter.com/t9It39ZPYi
CM धामी ने अधिकारियों को दिए कई निर्देश
CM धामी ने जनपद में स्थापित कंट्रोल रूम, यात्रा मार्ग और धाम में लगाए गए सीसीटीवी फुटेज का निरीक्षण किया. अधिकारियों को श्रद्धालुओं के लिए यात्रा मार्गों पर भी बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ ही कपाट खुलने के दिन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए.
उन्होंने आगे कहा कि श्रद्धालुओं की सुगम और सुरक्षित यात्रा के लिए हम कार्य कर रहे हैं. देवभूमि आने वाले लोगों को यात्रा के दृष्टिगत कोई भी समस्या न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. विश्वास है कि इस बार चारधाम यात्रा पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करके नए कीर्तिमान स्थापित करेगी.
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गिरिराज सिंह की सीट बेगूसराय पर रोचक चुनावी जंग, जानें बिहार के ‘लेनिनग्राद’ अखाड़े का चुनावी इतिहास?
बिहार का लेनिनग्राद माना जाने वाला बेगूसराय (Begusarai) इस चुनाव में देश के हॉट सीटों में से एक है. इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने महागठबंधन के साझा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व विधायक अवधेश राय को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने अपने फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) पर एक बार फिर दांव लगाया है. यह भूमिहार बहुल सीट है. गिरिराज सिंह भूमिहार जाति से आते हैं, जबकि अवधेश राय यादव जाति से आते हैं. दोनों प्रत्याशी इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं.
इस चुनाव में महागठबंधन साझा उम्मीदवार देने में सफल हुआ है. पिछले चुनाव में भाकपा ने कन्हैया कुमार को उतारा था तो राजद ने तनवीर हसन को उतार दिया था. भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह की इस बार सीधी टक्कर भाकपा के अवधेश राय से है, जिन्हें राजद और कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है . साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह ने त्रिकोणीय मुकाबले में काफी बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.2014 के लोकसभा चुनाव में राजद प्रत्याशी हसन ने यहां भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी थी, मगर वे भाजपा के भोला सिंह से 58,000 से ज्यादा मतों से हार गए थे. बेगूसराय सीट के रोमांचक लड़ाई पर देश की नजरें टिकी हुई हैं. दोनों मुख्य दावेदारों में कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. बताया जाता है कि 1952 से 2019 तक के लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन चुनौती वामपंथी देते रहे हैं. कहा जाता है कि आज भी वामपंथ का वोटबैंक सुरक्षित है.
बेगूसराय लोकसभा में सात विधानसभा सीटें हैं
बेगूसरायमें सात विधानसभा सीट हैं, जिसमें से भाकपा और राजद के दो -दो विधायक हैं, जबकि विधानसभा में भाजपा के पास दो और जदयू के पास एक सीट है. दूसरी ओर मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आकर्षण बरकरार है, जबकि विपक्षी गठबंधन को उम्मीद है कि वह अपने सामाजिक अंकगणित से इसकी काट निकाल लेंगे. ज्यादातर भाजपा नेता और समर्थक मोदी पर भरोसा टिकाए हुए हैं.
गिरिराज सिंह के हिंदुत्व चेहरे का मिलेगा लाभ?
गिरिराज सिंह के हिंदुत्व चेहरे का भी लाभ मिलना तय है. गिरिराज सिंह की भूमिहार, सवर्णो, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है, जबकि महागठबंधन मुस्लिम, यादव वोटरों को अपने खेमे में किए हुए है. दरअसल, बेगूसराय की राजनीति जाति पर आधारित रही है. बछवाड़ा, तेघड़ा, बेगूसराय, मटिहानी, बलिया, बखरी, चेरिया बरियारपुर - सात विधानसभा क्षेत्रों वाले बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में अनुमान के मुताबिक 21 लाख मतदाताओं में से भूमिहार मतदाता करीब 16 फीसदी, मुस्लिम 14 फीसदी, यादव 8 फीसदी, पासवान 8 फीसदी और कुर्मी 7 फीसदी हैं. यहां की राजनीति मुख्य रूप से भूमिहार जाति के आसपास घूमती है. इस बात का सबूत यह है कि पिछले 11 लोकसभा चुनावों में से कम से कम 10 बार भूमिहार सांसद बने हैं.
बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 13 मई को मतदान होना है. सभी प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर काफी मेहनत कर रहे हैं. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली बेगूसराय में इस रोचक जंग में किसकी जीत होगी, इसका पता तो चार जून के चुनाव परिणाम के दिन पता चलेगा.
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अमेरिका के लिए लड़ा था दूसरा विश्व युद्ध, अब 100 साल की उम्र में बनेंगे दूल्हा, जानें कैसे शुरू हुई लव स्टोरी
अमेरिकी हेरोल्ड टेरेंस और जीन स्वेरलिन ने अपना वादा दोहराया है कि उनका प्रेम रोमियो और जूलियट से बेहतर है. टेरेंस 100 साल के और जीन 96 साल की हैं. वे दोंनों अगले महीने फ्रांस में उस जगह शादी करने जा रहे हैं, जहां सेकेंड वर्ल्ड वार के दौरान होने वाले दूल्हे टेरेंस की सेवा की गई थी.
अमेरिकी वायु सेना के लंबे अनुभवी टेरेंस को 6 जून को नॉर्मंडी में डी-डे लैंडिंग की 80वीं सालगिरह पर सम्मानित किया जाएगा, यह मित्र देशों का एक ऐसा ऐतिहासिक ऑपरेशन था जिसने युद्ध का रुख बदल दिया था. दो दिन बाद हेरोल्ड और जीन कैरेंटन-लेस-मरैस में प्रतिज्ञा का आदान-प्रदान करेंगे. कैरेंटन-लेस-मरैस समुद्र तट के करीब है. सन 1944 में इसी दिन हजारों सैनिक तट पर आए थे और कई लोगों की जान गई थी. शहर के मेयर इस समारोह की अध्यक्षता करेंगे.
समाचार एजेंसी एएफपी को टेरेंस ने बताया कि, यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी.
फ्लोरिडा के बोका रैटन में स्वेरलिन के घर पर एक इंटरव्यू के दौरान, वे दोनों टीनएजर्स की तरह एक-दूसरे को देखते रहे, एक-दूसरे के हाथ पकड़ते रहे और चूमते रहे. स्वेरलिन अपने मंगेतर के बारे में कहती है, वह एक अविश्वसनीय लड़का है, मुझे उसकी हर चीज़ पसंद है. वह सुंदर है और वह एक अच्छा किसर है.यह 100 साल का युवा हंसमुख और मजाकिया है. उसकी याददाश्त अद्भुत है. वह तारीखों, स्थानों और घटनाओं को बिना किसी हिचकिचाहट के याद कर लेता है. एक तरह से जीवंत इतिहास की किताब की तरह.
टेरेंस के 18 साल के होने के कुछ ही समय बाद जापान ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसेना बेस पर बमबारी की थी. वह कई युवा अमेरिकी पुरुषों की तरह सेना में भर्ती होने के इच्छुक थे.
वे 20 साल की उम्र तक मोर्स कोड में एक्सपर्ट थे. उन्हें जहाज से इंग्लैंड भेजा गया. वहां उन्हें चार पी-47 थंडरबोल्ट लड़ाकू विमानों के एक स्क्वाड्रन को सौंपा गया था. टेरेंस को वहां ग्राउंड टू एयर कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी दी गई थी.
उन्होंने अफसोस जताते हुए बताया कि, बहुत सारे विमान और बहुत सारे पायलट खोकर हम युद्ध हार रहे थे... वे पायलट जो दोस्त बन गए थे, मारे गए. वे सभी युवा बच्चे थे.
नॉर्मंडी ऑपरेशन के दौरान उनकी कंपनी ने अपने 60 विमानों में से आधे खो दिए थे. इसके तुरंत बाद टेरेंस ने युद्ध के जर्मन कैदियों और मुक्त मित्र देशों की सेना को इंग्लैंड ले जाने में मदद करने के लिए उत्तरी फ्रांस के उस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए स्वेच्छिक काम किया था.
सीक्रेट मिशनएक दिन टेरेंस को एक लिफाफा मिला जिसमें निर्देश था कि इसे तब तक न खोलें जब तक कि वह एक निश्चित स्थान पर न पहुंच जाए. इस प्रकार एक ऐसी यात्रा शुरू हुई जो उन्हें कैसाब्लांका, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, काहिरा, बगदाद और तेहरान होते हुए सोवियत यूक्रेन तक ले गई.
आखिरकार जब वे कीव के पूर्व में एक शहर पोल्टावा पहुंचे तो एक रूसी अधिकारी ने उन्हें बताया कि वह एक गुप्त मिशन का हिस्सा थे. यूएस बी-17 विमानों ने इंग्लैंड से रोमानिया के लिए उड़ान भरी थी, जहां वे नाजी जर्मनी द्वारा नियंत्रित एक्सिस आइल फील्ड पर बमबारी करने वाले थे.
टेरेंस यूक्रेन में रीसप्लाई टीम का हिस्सा थे, जिसने फ्लाइंग फोर्ट्रेस को ईंधन और हथियार दिए थे. ऑपरेशन 24 घंटे तक चला. इसके बाद जर्मनों ने यूक्रेन में मित्र देशों के अड्डे खोज लिए और उन पर हमला किया. टेरेंस ने बताया कि वह भागकर एक अज्ञात क्षेत्र में पहुंच गए. वहां उन्हें डीसेंट्री हो गई और वहां एक स्थानीय किसान परिवार की मदद से वे बच सके.
इंग्लैंड लौटकर उन्होंने एक बार फिर मौत को धोखा दिया. एक पब मालिक ने उन्हें ड्रिंक देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह बंद होने वाला था. इस पर वे वहां से चले गए. वे थोड़ी ही दूर पहुंचे थे कि एक जर्मन रॉकेट ने उस पब को खत्म कर दिया.
दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़कायुद्ध के बाद वे राज्य में लौट आए और थेल्मा से शादी की. थेल्मा के तीन बच्चे हुए जिनका उन दोनों ने पालन-पोषण किया. टेरेंस एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम करते थे. वह और थेल्मा रिटायर होने के बाद फ्लोरिडा में बस गए.
सन 2018 में 70 साल की थेल्मा की मौत ने टेरेंस को दुख में डुबो दिया. उन्होंने तीन साल तक अपनी पत्नी का शोक मनाया.
हालांकि जिंदगी ने उन्हें एक नई शुरुआत का मौका दिया. सन 2021 में एक दोस्त ने उन्हें एक करिश्माई महिला जीन स्वेरलिन से मिलवाया, जो विधवा थीं. अपनी पहली मुलाकात में टेरेंस बमुश्किल स्वेरलिन की ओर देख सके. लेकिन दृढ़ता रंग लाई. दूसरी डेटिंग ने सब कुछ बदल दिया और वे तब से अलग नहीं हुए.टेरेंस कहते हैं कि, वह मेरी जिंदगी को रोशन करती है, वह हर चीज को खूबसूरत बनाती है. वह जीवन को जीने लायक बनाती है.
वे कहते हैं कि मुझे सब कुछ मिल गया. मैं शायद दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़का हूं.
Analysis: BJP के मिशन-80 के लिए OBC वोट बैंक कितना जरूरी? क्या SP-कांग्रेस की रणनीति बिगाड़ेगी काम
उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) की सबसे ज्यादा सीटें हैं. 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश (UP Lok Sabha Seats) के बारे में कहा जाता है कि यहां वोटर वोट नेता को नहीं, जाति को देते हैं. यूपी में 42 फीसदी वोट अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC के हैं. ऐसे में OBC वोट बैंक के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) अपना जनाधार मजबूत करने में पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं. OBC को वैसे सपा का कोर वोटर माना जाता है. यादव वोटर्स समाजवादी पार्टी के डेडिकेटेड वोटर्स माने जाते हैं. लेकिन 2017 में जब से BJP यूपी की सत्ता में काबिज हुई, तब से OBC वोट बैंक भी डिवाइड हो गया. BJP ने अपनी राजनीतिक रणनीतियों की मदद से सपा के इस वोटबैंक में पर्याप्त सेंधमारी की है. देखते ही देखते गैर-यादव OBC समुदाय BJP के पास आते गए और सपा से दूर होते गए. ऐसे में सवाल उठता है कि यूपी के सियासी रनवे में क्या सपा एकबार फिर से OBC वोट बैंक में BJP के दबदबे को तोड़ने में कामयाब हो पाएगी?
यूपी में किस समुदाय का कितना वोट शेयर?
OBC- 42%
यादव- 11%
कुर्मी- 5%
कोइरी-मौर्य-कुशवाहा-सैनी- 4%
जाट- 2%
अन्य OBC- 16%
BJP का कैसा बना OBC वोट बैंक पर दबदबा?
BJP ने 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017, 2022 के यूपी विधानसभा में OBC वोटबैंक में सेंधमारी की थी. इसमें उसे अच्छी-खासी सफलता भी मिली. कई सपा नेता और समर्थक BJP के खेमे में आ गए थे. इस बार BJP OBC वोट बैंक को लेकर अपना दायरा बढ़ाना चाहती है. OBC वोट बैंक में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए BJP यूपी में ओबीसी महाकुंभ जैसे आयोजन करने वाली है. इसका मकसद गैर-यादव पिछड़ी जाति के लोगों को एकसाथ लाना है. इसी मकसद को पूरा करने के लिए ओम प्रकाश राजभर को NDA में लाया गया. संजय निषाद, जयंत चौधरी और अनुप्रिया पटेल ऐसे ही उदाहरण हैं. इनपर NDA के लिए OBC वोट बैंक बढ़ाने का दारोमदार (जिम्मेदारी) है.
OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि BJP को OBC का बंपर वोट मिला. इस लोकसभा चुनाव में OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए बड़ी चुनौती है. 2014 में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब अगर यादवों के वोट को छोड़ दिया जाए, तो बाकी OBC जातियों में BJP और सपा के बीच 35 से 70 फीसदी का अंतर है. 2019 में जब सपा-बसपा साथ थे, तब भी ये 50 से 84 फीसदी का अंतर है. विरोधियों के लिए इस अंतर को पाटना इतना आसान नहीं होगा.
OBC वोटर्स को पास लाने में जुटे अखिलेश यादव
सपा के सामने लोकसभा चुनाव में OBC वोटर्स को वापस पाने की चुनौती है. इसके लिए पार्टी की रणनीतियां भी साफ है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा भी दिया है. सपा खासतौर पर जाति जनगणना पर जोर दे रही है. जबकि BJP इसे नकारती आई है.
OBC समुदाय को लुभाने में मायावती भी पीछे नहीं
यूपी के OBC वोटर्स को लुभाने में बसपा सुप्रीमो मायावती भी पीछे नहीं हैं. साल 2007 में जब उनकी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ यूपी में सरकार बनाई थी, तब उन्हें अच्छी-खासी मात्रा में वोट मिले थे. बसपा और सपा ने साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसका फायदा बसपा को मिला. उसके OBC वोट बैंक के शेयर में इजाफा हुआ था. अब 2024 के इलेक्शन में OBC वोट बैंक को साधने के लिए मायावती ने जाति जनगणना की मांग का समर्थन किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने महिला आरक्षण बिल में OBC कोटे की मांग भी की है, ताकि जनता के बीच ये मैसेज जाए कि बसपा ही यूपी में OBC समुदाय के बारे में सोचती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, OBC वोट बैंक को मेंटेन रखना BJP के लिए मुश्किल नहीं है. क्योंकि BJP ने OBC वोट बैंक को यूपी में दो हिस्सों में बांट दिया है. पहला- यादव (जिसकी आबादी करीब 10% है). दूसरा- नॉन-यादव OBC. ये दोनों को साधकर BJP अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही है. नॉन-यादव ओबीसी करीब 30 फीसदी हैं. इनमें हजारों सब-कास्ट (उप-जातियां) हैं. इन छोटे-छोटे जातियों के नेताओं को BJP ने रिप्रेजेंटेशन दिया है. ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद इसके उदाहरण हैं. योगी सरकार में 40 से 50 फीसदी मंत्री इसी समुदाय से आते हैं. इसकी वजह से नॉन-यादवों में BJP की एक मजबूत पकड़ हो गई है. इसबार सपा ने टिकट बंटवारे में जरूर नॉन-यादव OBC को मौका दिया है. लेकिन साफ है कि BJP के दबदबे को तोड़ना सपा या किसी और पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, BJP के दबदबे को तोड़ना या OBC वोटों के अंतर को पाटना विरोधियों के लिए बड़ा मुश्किल है. विपक्ष को उतना समय भी नहीं मिला, जिससे वो ग्राउंड पर मेहनत कर सके. पिछले पांच साल में कांग्रेस और सपा के कई लोग NDA में चले गए. ऐसे में सारा सियासी गणित जटिल है. शायद इसलिए राहुल गांधी ने जो जातीय जनगणना की बात कही है, उसे लेकर ज्यादा झुकाव नहीं हुआ है.
बता दें कि विपक्षी दलों के INDIA अलायंस में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोर शोर से उठाया है. लेकिन माना जाता है कि बीजेपी को इस तरह की जनगणना से डर यह है कि इससे अगड़ी जातियों के उसके वोटर नाराज़ हो सकते हैं. इसके अलावा बीजेपी का परंपरागत हिंदू वोट बैंक इससे बिखर सकता है.
160 वोटर्स और 4,491 फीट की ऊंचाई : लोकतंत्र के महापर्व के लिए 1 घंटा पैदल चलकर पहुंचे चुनावकर्मी
देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. इस पर्व में देश की जनता का एक वोट बहुत ही ज्यादा जरूरी है. ऐसे में चुनाव आयोग के अधिकारी मतदाताओं के पास जा रहे हैं. देश में अब तक 3 चरण मतदान हो चुके हैं. इसी बीच एक Video ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. मंगलवार को तीसरे चरण के मतदान के दौरान चुनाव आयोग की एक टीम महाराष्ट्र के बारामती निर्वाचन क्षेत्र के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र पर पहुंची. मतदान दल 4,491 फीट की ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए रायरेश्वर किले की तलहटी में पहुंचा. पुणे से 30 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद, मतदान दल एक घंटे तक पैदल चला और 160 मतदाताओं के लिए बनाए गए मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए लोहे की सीढ़ी से उतरा.
एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे 7 से अधिक मतदान अधिकारियों की टीम वोटिंग मशीन लेकर लोहे की सीढ़ी से उतर रहे हैं.
अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), नियंत्रण इकाइयों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) उपकरणों सहित मतदान मशीनरी लेकर किले तक पहुंचे. कठिन इलाके के बावजूद, मतदान कर्मचारियों ने सभी आवश्यक सामग्रियों को सफलतापूर्वक मतदान केंद्र तक पहुंचाया.
रायरेश्वर मतदान केंद्र बारामती निर्वाचन क्षेत्र में स्थित है इसमें 6 विधानसभा सीटें शामिल हैं - इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर, खडकवासला और दौंड. मंगलवार को भारत के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तीसरे चरण के मतदान के लिए 64% से अधिक मतदान दर्ज किया गया.जबकि असम में सबसे ज्यादा 75% और महाराष्ट्र में सबसे कम 53.95 फीसदी मतदान हुआ.महाराष्ट्र,
छेड़छाड़ मामला: CM ममता और पुलिस को छोड़कर 100 लोगों को सीसीटीवी फुटेज दिखाएंगे राज्यपाल
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ एक महिला कर्मचारी द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाये जाने की पृष्ठभूमि में, राजभवन ने बुधवार को कहा कि वह “राजनीतिक नेता” ममता बनर्जी और “उनकी पुलिस” को छोड़कर 100 लोगों को संबंधित सीसीटीवी फुटेज दिखाएगा. राज्यपाल पर आरोप के बाद, पुलिस ने राजभवन से संबंधित सीसीटीवी फुटेज साझा करने का अनुरोध किया था. राज्यपाल ने हालांकि, अपने कर्मचारियों को इस संबंध में पुलिस के साथ सहयोग नहीं करने का निर्देश दिया.
राजभवन ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पुलिस के मनगढ़ंत आरोपों की पृष्ठभूमि में, राज्यपाल बोस ने ‘सच के सामने कार्यक्रम शुरू किया है.उसने लोगों से राजभवन में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ईमेल या फोन पर अनुरोध भेजने को कहा और पहले 100 लोगों को बृहस्पतिवार सुबह राजभवन के अंदर फुटेज देखने की अनुमति दी जाएगी.
पोस्ट में कहा गया है, “राज्यपाल ने फैसला किया है कि सीसीटीवी फुटेज को पश्चिम बंगाल का कोई भी नागरिक देख सकता है - सिवाय राजनीतिक नेता ममता बनर्जी और उनकी पुलिस के, क्योंकि उन्होंने जो रुख अपनाया है वह सबके सामने है.”राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी ने शुक्रवार को राज्यपाल पर गवर्नर हाउस में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कोलकाता पुलिस में लिखित शिकायत दायर की है. बोस ने आरोप को “बेतुका नाटक” बताया था और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीति को “गंदी” करार दिया था.
कोलकाता पुलिस ने महिला कर्मचारी द्वारा बोस पर लगाए गए छेड़छाड़ के आरोप की जांच के लिए एक जांच दल का गठन किया है.पुलिस ने आरोप की जांच के सिलसिले में राजभवन के कुछ अधिकारियों और वहां तैनात पुलिसकर्मियों को तलब किया है. हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है.
नेचर लव! 1 घंटे में पेड़ों को झप्पी देकर इस शख्स ने बना दिया World Record!
इस दुनिया में ऐसे कई ऐसे लोग हैं, जो अपने खास काम से अपनी पहचान बनाते हैं. कई बार ये इतिहास भी रच देते हैं. अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक शख्स पेड़ों को गले लगा रहा है. इस कारण शख्स ने अपने नाम एक रिकॉर्ड भी कर लिया है.
कौन है ये शख्स?
29 वर्षीय छात्र अबुबकर ताहिरू ने एक घंटे में 1,123 पेड़ों को गले लगाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है. सोशल मीडियो पर इस शख्स की चर्चा हो रही है.
देखें वीडियो
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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, इसे अमेरिका के अलबामा में Tuskegee National Forest में अंजाम दिया गया. यह रिकॉर्ड आसान नहीं था, क्योंकि इसमें क्वालिफाई करने के लिए ताहिरू को एक मिनट में 19 पेड़ों को गले लगाने की औसत गति बनाए रखने की थी. इसके अलावा यह भी देखा जा रहा था कि वह सभी पेड़ों को अच्छे से गले लगा रहे हैं या नहीं. साथ ही पेड़ों को नुकसान पहुंचाने पर भी डिस्क्वालिफाई हो सकते थे.
सोशल मीडिया पर इस शख्स का वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो को 10 लाख से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. वहीं इस वीडियो पर 29 हजार से ज्यादा लोगों के लाइक्स देखने को मिल रहे हैं. एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा है ये तो अनोखा रिकॉर्ड है. एक अन्य यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा है- भाई, ऐसा क्यों कर रहे हो.
NDTV इलेक्शन कार्निवल : उज्जैन में क्षिप्रा नदी, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रमुख मुद्दा; जनता ने कहा- कांग्रेस और BJP ने नहीं उठाया कोई कदम
देश में 7 चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के तीन चरण हो चुके हैं. आधी से अधिक सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. एनडीटीवी देश की जनता की राय और मूड को जानने के लिए देश के कई शहरों में पहुंचा है. कई राज्यों के बाद बुधवार को हमारा NDTV इलेक्शन कार्निवल (NDTV Election Carnival) मध्यप्रदेश का उज्जैन पहुंचा. उज्जैन कई राजनीति के साथ-साथ सांस्कृतिक तौर पर भी बेहद महत्वपूर्ण शहर है. उज्जैन लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. लंबे समय से उज्जैन में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला देखने को मिलता रहा है. उज्जैन आलोट सीट से कांग्रेस की तरफ से महेश परमार को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं बीजेपी से अनिल फिरोजिया उम्मीदवार बनाए गए हैं. 13 ंमई को यहां वोट डाले जाएंगे.
उज्जैन की जनता के लिए सबसे अहम मुद्दों की अगर बात करें तो क्षेत्र की जनता क्षिप्रा नदी में हुए प्रदूषण के परेशान है. साथ ही ट्रैफिक की समस्या, शिक्षा, बढ़ती जनसंख्या जैसे मुद्दों को लेकर भी जनता और विपक्षी दल ने आवाजा उठाया.बीजेपी से सुल्तान सिंह शेखावत
बीजेपी नेता सुल्तान सिंह शेखावत ने कहा कि क्षिप्रा नदी की साफ सफाई को लेकर बीजेपी की सरकार की तरफ से समय-समय पर कदम उठाए गए हैं. गंगा नदी के प्रॉजेक्ट के साथ क्षिप्रा नदी को जोड़ने का काम हमने किया है. बीजेपी नेता ने कहा कि ट्रैफिक समस्या को सुधारने के लिए नई भर्तियां की ग यी है. बहुत जल्द उनकी नियुक्ति हो जाएगी.
कांग्रेस से दिनेश जैन
कांग्रेस नेता दिनेश जैन ने क्षिप्रा नदी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हमारे उम्मीदवार ने लोगों के बीच इस मुद्दे को उठाते हुए इस नदी में स्नान किया है. जिससे की लोग देख सके कि यह कितनी प्रदूषित है. 10 साल में इसकी सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकला. कांग्रेस नेता ने कहा कि शिक्षा का स्तर उज्जैन में बेहद खराब है. यहां तक कि कोचिंग करने के लिए भी हमारे युवाओं को बाहर जाना पड़ता है. वही हालत स्वस्थ्य व्यवस्था की भी है. पूरे उज्जैन में छोटे-छोटे अस्पताल तो हैं लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. स्कूल हैं लेकिन शिक्षक नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह चंदेल
वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह चंदेल ने कहा कि क्षिप्रा नदी की सफाई को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सरकारों में कदम उठाए गए लेकिन दोनों में से कोई भी सफल नहीं हुए. पिछले 25 साल में किसी भी दल की सरकार रही हो सही दिशा में शायद कदम नहीं उठाया गया. यही कारण है कि नदी अब भी साफ नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि उज्जैन में लंबे समय तक उद्योग धंधे को लेकर हालात अच्छी नहीं थी हालांकि पिछले कुछ समय में सुधार देखने को मिला है.
जनता ने क्या सवाल उठाया
युवाओं की तरफ से बेरोजगारी और शिक्षा को सबसे अहम मुद्दा उज्जैन का बताया गया. वहीं महिला सुरक्षा के मुद्दे को भी जनता ने उठाया. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और रोजगार के मुद्दे भी उठाए गए. किसानों के मुद्दे और एमएसपी जैसे मांग और खाद की मंहगाई के मुद्दे को भी जनता ने उठाया.
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एयर इंडिया एक्सप्रेस की लेबर कमिश्नर ने की आलोचना, कुप्रबंधन का लगाया आरोप
टाटा ग्रुप की एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस (Air India Express) के कर्मचारियों के एक गुट और मैनेजमेंट के बीच विवाद बढ़ने से करीब एक सप्ताह पहले रीजनल लेबर कमिश्नर ने एयरलाइन को लिखा था कि शिकायतें वास्तविक थीं और मानव संसाधन विभाग (HR) ने सुलह अधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया था. इस विवाद के चलते मंगलवार की रात से 90 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं.
मंगलवार की रात में एयर इंडिया एक्सप्रेस के 300 वरिष्ठ केबिन क्रू सदस्यों ने अंतिम वक्त में बीमार होने की सूचना दी और अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए. इन हालात में 90 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं और कई यात्री फंसे रहे. एयर इंडिया एक्सप्रेस एम्पलाइज यूनियन (AIXEU) ने भी मैनेजमेंट को लिखा और कमिटमेंट से परे हटने की बात पर प्रकाश डाला. टाटा (TATA) ग्रुप ने जनवरी 2022 में सरकार द्वारा संचालित इस एयरलाइन का अधिग्रहण किया था.
एयर इंडिया एक्सप्रेस के सूत्रों ने NDTV को बताया कि वह AIXEU या किसी अन्य लेबर यूनियन को वैध नहीं मानता है.
नई दिल्ली में रीजनल लेबर कमिश्नर अशोक पेरुमल्ला ने तीन मई को एयर इंडिया के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन और अन्य को एक ई-मेल भेजा था. इसमें उन्होंने श्रम कानूनों के घोर उल्लंघन की ओर इशारा किया था. ईमेल की एक कॉपी एनडीटीवी के पास है.यूनियन की चिंताओं को वास्तविक बताते हुए पेरुमल्ला ने लिखा- एयर इंडिया एक्सप्रेस के मैनेजमेंट ने किसी भी सुलह की कार्यवाही के लिए किसी भी फैसला लेने वाले जिम्मेदार व्यक्ति को नहीं भेजा है. कुप्रबंधन और साफ तौर पर लेबर लॉ का घोर उल्लंघन है.
अधिकारी ने कहा- एचआर डिपार्टमेंट ने गलत जानकारी और कानूनी प्रावधानों की मूर्खतापूर्ण व्याख्या के साथ सुलह अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की.
पेरुमल्ला ने सामंजस्यपूर्ण औद्योगिक संबंध बनाए रखने के लिए कर्मचारियों की शिकायतों और एचआर डिपार्टमेंट के कामकाज की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का सुझाव दिया. उन्होंने सुधारा के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया.
मौजूदा विवाद कर्मचारियों के लिए नए मेरिट-बेस्ड एसेसमेंट सिस्टम को लेकर उपजा है. कर्मचारी यूनियन ने एयरलाइन पर कुप्रबंधन और कर्मचारियों के साथ व्यवहार में असमानता का भी आरोप लगाया है.
एयर इंडिया का रुखएयर इंडिया एक्सप्रेस के सूत्रों ने कहा कि एयरलाइन किसी भी लेबर यूनियन को मान्यता नहीं देती है. विरोध करने वाले क्रू मेंबर्स से बात करने और गतिरोध तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा- हमारे केबिन क्रू के एक गुट ने कल रात में अंतिम मिनट में बीमार होने की सूचना दी. इसके नतीजे में उड़ान में देरी हुई और रद्द कर दी गई. जबकि हम इन घटनाओं के पीछे के कारणों को समझने के लिए क्रू के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमारी टीमें इसके कारण हमारे मेहमानों को होने वाली किसी भी असुविधा को कम करने के लिए इस मुद्दे को सक्रियता से सुलझाने में लगी हैं.
एयरलाइन के प्रवक्ता ने कहा- हम इस अप्रत्याशित बाधा के लिए अपने अतिथियों से ईमानदारी से माफी मांगते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि यह हालात सेवा के उस मानक को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं जिसे हम प्रदान करने का प्रयास करते हैं. कैंसिलेशन से प्रभावित मेहमानों को पूरी राशि वापस की जाएगी या किसी अन्य तारीख के लिए काम्पलीमेंट्री रीशेड्यूलिंग का ऑफर दिया जाएगा.
पैसे और प्रोपर्टी का लालच... : बेटा निकला मां-भाई का हत्यारा, गााजियाबाद पुलिस ने सुलझाई डबल मर्डर की गुत्थी
दोहरे हत्याकांड में गाजियाबाद पुलिस को सफलता मिली है. गाजियाबाद के थाना लोनी बॉर्डर क्षेत्र की गुलाब वाटिका कॉलोनी में बुधवार सुबह मिले मां और बेटे के शव का खुलासा पुलिस ने कर दिया है. पुलिस के अनुसार, बड़े बेटे ने ही मां और भाई की हत्या की थी. पुलिस ने बताया कि देर रात घर के बड़े बेटे ने प्रॉपर्टी के लिए हत्या की. उसके बाद सुबह आकर पुलिस को गुमराह किया.
गाजियाबाद के डीसीपी ग्रामीण विवेक चंद यादव ने बताया कि थाना लोनी बॉर्डर क्षेत्र के गुलाब वाटिका क्षेत्र में रहने वाले धर्मेंद्र ने बुधवार सुबह पुलिस को सूचना दी कि दूसरी मंजिल पर रहने वाले उसकी मां यशोदा और भाई की हत्या कर दी गई है. धर्मेंद्र ने आशंका जताई थी की घर में रखे पैसे और जेवरात की लूट के दौरान यह हत्या की गई है.
पुलिस ने चंद घंटे में ही इसका खुलासा कर दिया है. दोहरे हत्याकांड का खुलासा करते हुए धर्मेंद्र को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक, मंगलवार देर रात धर्मेंद्र ने अपनी मां को चारपाई के पाया से वार कर हत्या कर दी. आवाज सुनकर जब धर्मेंद्र का छोटा भाई विजेंद्र आया तो उसकी भी हत्या कर दी.
पुलिस के अनुसार, विजेंद्र की उम्र 35 साल है. वह मानसिक रूप से भी कमजोर है. पुलिस ने बताया कि धर्मेंद्र के ऊपर डेढ़ लाख रुपए का कर्ज हो गया था, जिसके लिए वह अपनी मां से पैसे मांग रहा था. सभी पैसों का हिसाब धर्मेंद्र की मां के पास ही रहता था. साथ ही धर्मेंद्र को पता लगा था कि उसकी मां उसे प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं देने वाली है, ऐसे में उसने मां और भाई की हत्या कर दी.
सलमान खान फायरिंग केस: 7 महीने पहले रची थी साजिश, शूटर्स के रहने-खाने का हुआ था इंतजाम; रेकी के बाद दिया गया अंजाम
बॉलीवुड एक्टर सलमान खान (Salman Khan) के घर पर फायरिंग करने वाले दोनों आरोपी विक्की गुप्ता और सागर पाल को मुंबई क्राइम ब्रांच ने बुधवार को कोर्ट में पेश किया. अदालत ने दोनों को 27 मई तक के लिए जेल भेज दिया है. दोनों बीते 16 अप्रैल से पुलिस हिरासत में हैं. 14 अप्रैल को बाइक सवार विक्की गुप्ता और सागर पाल ने मुंबई के बांद्रा स्थित सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर चार राउंड फायरिंग की थी. जब गोलीबारी हुई, तब सलमान खान अपने घर पर ही मौजूद थे. तफ्तीश के दौरान मुंबई क्राइम ब्रांच (Crime Branch)को पता चला है कि सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग की साजिश अक्टूबर 2023 में ही रची गई थी. साजिशकर्ताओं ने इसके लिए शूटरों को मुंबई में रहने और खाने-पीने का इंतजाम करने को भी कहा था.
मुंबई क्राइम ब्रांच के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, साजिशकर्ताओं ने शूटर विक्की गुप्ता और सागर पाल को पनवेल जाकर किराये का घर खोजने को कहा था. इसके लिए दोनों एक ऑटो रिक्शा चालक से भी मिले थे. विक्की गुप्ता और सागर पाल ने जब पनवेल में किराए का घर ले लिया, तब उन्हे एक मोटरसाइकिल का इंतजाम करने को कहा गया. बाइक मिलने के बाद दोनों को मुंबई में घूमने की हिदायद दी गई थी, ताकि वो रास्तों को पहचान लें. तब तक दोनों को ये नहीं बताया गया था कि उन्हें सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग करनी है.
शख्स फोन करके लेता था अपडेट
जानकारी के मुताबिक, इसके कुछ दिन बाद दोनों शूटरों को पिस्तौल पहुंचाई गई. फिर सलमान खान के अपार्टमेंट की रेकी करने को कहा गया. इस दौरान एक शख्स दोनों को फोन करके रोजाना अपडेट भी लेता था. अब तक की जानकारी के मुताबिक, शूटरों को दो से ढाई लाख रुपये एडवांस दिए जा चुके थे. कुछ पैसे दोनों को मुंबई भेजने के पहले ही दे दिए गए थे. बाद में मोहम्मद रफीक चौधरी के जरिए भी पैसे भेजे गए.
रफीक चौधरी भी हिरासत में
मोहम्मद रफीक चौधरी को राजस्थान में 3 लाख रुपये दिए गए थे. इसमें से उसने कुछ रकम मुंबई में शूटरों को भेजी थी. मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को पांचवें आरोपी के तौर पर मोहम्मद रफीक चौधरी को हिरासत में लिया है. अभी तक की जानकारी के मुताबिक, रफीक चौधरी पर कोई भी पुराना कोई केस नहीं है. पुलिस अब भी ये पता करने में जुटी है कि साजिशकर्ताओं ने रफीक चौधरी किसलिए इतनी रकम दी थी.
सलमान खान फायरिंग केस में गैंगस्टर रोहित गोदारा की भी एंट्री! जानें- क्या है कनेक्शन
पुलिस कस्टडी में अनुज थापन की मौत
इससे पहले इस केस के एक आरोपी की 1 मई को पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक, आरोपी अनुज थापन ने कस्टडी में चादर से फांसी लगा ली थी. हालांकि, परिवार का दावा है कि पुलिस ने हत्या की है. अनुज थापन की मौत की जांच CID को सौंपी गई है.
पंचायत ही नहीं असल जिंदगी में भी सचिवजी हैं सैलरी के मारे, वेब सीरीज के एक सीजन के मिले इतने पैसे इंजीनियर ले जाता है उससे ज्यादा पैकेज
बहुचर्चित वेब सीरीज पंचायत का तीसरा सीजन जल्द रिलीज होने वाला है. इस सीरीज में जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर यादव, फैसल मलिक, चंदन रॉय और संविका वापसी करेंगे. पंचायत सीरीज में यह सभी कलाकार अपने अलग किरदारों के लिए जाने जाते हैं. इस वेब सीरीज के कई कलाकारों की फीस काफी चर्चा में रही है. लेकिन जिसकी फीस जानने के लिए फैंस उत्साहित वह पंचायत के सचीव जी यानी जितेंद्र कुमार हैं. जितेंद्र कुमार वह कलाकार हैं, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग को छोड़ एक्टिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया.
लेकिन अब लगता है कि जितेंद्र कुमार के पंचायत वेब सीरीज में काम करना सिविल इंजीनियरिंग से ज्यादा घाटे का सौदा साबित हो रहा है. दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स मानें तो जितेंद्र कुमार ने पंचायत 2 के आठ एपिसोड के लिए चार लाख रुपये लिए थे. इस हिसाब से उन्होंने एक एपिसोड के लिए सिर्फ 50 हजार रुपये लिए हैं. ऐसे में देखा जाए तो जितेंद्र कुमार को पंचायत 2 में काम करना सिविल इंजीनियरिंग के भी ज्यादा घाटे का सौदा लगा है. आमतौर पर सिविल इंजीनियरिंग 50 हजार से ज्यादा की कमाई करते हैं.
आपको बता दें कि द वायरल फीवर द्वारा निर्मित पंचायत एस 3 को दीपक कुमार मिश्रा ने निर्देशित किया है और इसे चंदन कुमार ने लिखा है. इसे तमिल, तेलुगु, मलयालम व कन्नड़ में भी डब किया जाएगा. प्राइम वीडियो ने अपनी ओरिजिनल सीरीज पंचायत के सीजन 3 की प्रीमियर डेट का ऐलान कर दिया है. यह ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित, आठ भागों में बंटा दिल को छू लेने वाला एक कॉमेडी ड्रामा है. पहले दो सीज़न के बाद, फुलेरा गांव के भीतर पैदा हो जाने वाली नई चुनौतियों और संघर्षों के चलते पंचायत सीजन 3 एक दिलचस्प मोड़ ले लेती है. यह वेब सीरीज 28 मई को रिलीज होगी.
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क्या कोरोना का नया वेरिएंट FLiRT मचा सकता है तबाही? एक्सपर्ट से जानें
कोरोना वायरस (Corona virus) के एक नए वेरिएंट को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है. अमेरिका में कोरोना का एक नया वेरिएंट FLiRT सामने आया है. यह ओमिक्रॉन के जेएन.1 वेरिएंट के म्यूटेशन से बना है. दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे लेकर गंभीर हैं. भारत में भी कोरोना के नए वेरिएंट FLiRT को लेकर लोगों की चिंता बढ़ रही है. इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के पूर्व निदेशक सुजीत सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि हम इसे इस प्रकार से देख सकते हैं कि पहले जो वेरिएंट आया था ओमिक्रॉन, उसका ही यह म्यूटेशन है. जिनोमिक एक्सपर्ट की नजर से यह अधिक संक्रामक हो सकता है.
सुजीत सिंह ने कहा कि इस वेरिएंट को लेकर बहुत अधिक चिंता की बात नहीं है. यह अमेरिका में पाया गया है और अभी इसके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है. भारत में एक्सपर्ट इस पर हमेशा से निगाह रखे हुए हैं. हमारा सिस्टम नए वेरिएंट पर लगातार काम कर रहा है. जब तक इसे लेकर कोई और लक्षण हमें नहीं दिखते हैं तब तक इसे लेकर बहुत अधिक चिंता की बात नहीं है.हमारे लिए यह तब तक चिंता की बात नहीं है जब तक की इसका म्यूटेशन कोई गलत असर न करे. म्यूटेशन लगातार होते रहते हैं. हर वायरस में होते हैं. इस वायरस को भी हमें देखना होगा कि इसके हेल्थ पर प्रभाव क्या होते हैं. हमारा सिस्टम इसे ट्रैक करता रहा है. अभी यह आम लोगों के लिए कोई चिंता की बात नहीं है.
इस वेरिएंट का नाम FLiRT क्यों रखा गया?
अमेरिका की संक्रामक रोग सोसायटी के अनुसार, नाम फ़्लर्ट (एफएलआईआरटी) उनके म्यूटेशन के तकनीकी नाम पर आधारित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की इस पर नज़र है और इसने कड़ी निगरानी की सलाह दी है. सर गंगा राम अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट धीरेन गुप्ता के अनुसार, कोरोना के नए स्ट्रेन सामने आते रहेंगे. उन्होंने कहा, अच्छी बात ये है कि ओमिक्रॉन वंश में से कोई भी फेफड़ों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं है जैसा कि डेल्टा स्ट्रेन ने किया था. यह ऊपरी श्वसन पथ तक ही सीमित रहता है. लेकिन वायरस में इस बदलाव के लिए निगरानी और सतर्कता रखी जानी चाहिए.
इस वेरिएंट के क्या-क्या हैं लक्षण?
विशेषज्ञों के अनुसार, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का बढ़ता उपयोग इस म्यूटेशन को प्रेरित कर सकता है. विशेषज्ञों ने बताया कि नए वैरिएंट के लक्षण अन्य ओमीक्रॉन सबवेरिएंट के समान हैं, जैसे गले में खराश, खांसी, थकान, नाक बंद होना, नाक बहना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बुखार और स्वाद और गंध की कमी हो सकती है.
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समझनी है राजनीति तो तुरंत देख डालिए ये 5 वेब सीरीज, एक में तो अनपढ़ सीएम ने किया सबका जीना मुहाल
देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव चल रहा है. पूरा माहौल चुनावी है. वोट का खेल और सत्ता की चाबी की हर जगह चर्चा है. हर कोई अपनी-अपनी पार्टी और कैंडिडेट की जीत का दावा कर रहा है. राजनैतिक दल एक-दूसरे की कमियां गिनाकर वोट मांग रहे हैं. ऐसे में जब पूरे देश पर चुनावी रंग चढ़ा है तो पॉलिटिक्स पर बेस्ड 5 दमदार वेब सीरीज जरूर देखनी चाहिए. इनकी कहानी में राजनीति के ऐसे दांवपेंच है कि आप भी थोड़ी बहुत राजनीति तो सीख ही जाएंगे. इन वेब सीरीज को काफी ज्यादा पसंद किया गया है. तो चलिए जानते हैं टॉप पॉलिटिकल वेब सीरीज के बारें में.
महारानी, सोनी लिव
राजनीति पर बेस्ड वेब सीरीज महारानी ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. इसका तीसरा सीजन हाल ही में रिलीज किया गया है. सुभाष कपूर की इस सीरीज के पहले पार्ट का डायरेक्शन करण शर्मा, दूसरे सीजन का रवींद्र गौतम और तीसरे सीजन का रवि भावे ने किया है. इस सीरीज में हुमा कुरैशी के अलावा सोहम शाह, अमित सियाल, कानी कुसरुति और इनामुलहक जैसे स्टार्स हैं. सोनी लिव पर इसे देख सकते हैं. इसमें अनपढ़ सीएम का किरदार हुमा कुरैशी ने निभाया था.
हाउस ऑफ कार्ड्स, नेटफ्लिक्स
साल 2013 में बनी वेब सीरीज हाउस ऑफ कार्ड्स में अमेरिका की राजनीति को बखूबी दिखाया गया है. इसमें कुल छह सीजन हैं. इसकी कहानी में व्हाइट हाउस के अंदर की राजनीति, अमेरिका में सीनेट और कांग्रेस की राजनीति से मेयर तक दांव पेंच दिखाया गया है. इसके 5 सीजन में केविन स्पेसी लीड रोल में हैं लेकिन छठे सीजन में पहले मीटू के आरोपों की वजह से उन्हें नहीं लिया गया है. इसमें एक्ट्रेस रॉबिन राइट का किरदार भी दमदार है. नेटफ्लिक्स पर इस वेब सीरीज को देख सकते हैं.
तांडव, प्राइम वीडियो
अमेजॉन प्राइम वीडियो की दमदार राजनीतिक थ्रिलर वेब सीरीज को अली अब्बास जफर ने बनाया है और स्क्रिप्ट गौरव सोलंकी ने लिखी है. इसमें सैफ अली खान के अलावा सुनील ग्रोवर, तिग्मांशु धूलिया, डिंपल कपाड़िया, मोहम्मद जीशान अय्यूब, डिनो मोरिया और अनूप सोनी जैसे बेहतरीन स्टार्स हैं.
सिटी ऑफ ड्रीम्स, डिज्नी प्लस हॉटस्टार
सिटी ऑफ ड्रीम्स के अब तक दो सीजन आ चुके हैं. इस धांसू पॉलिटिकल वेब सीरीज में परिवार के बीच राजनीति के दांव-पेंच दिखाए गए हैं. इसमें पॉलिटिक्स की पराकाष्ठा दिखाया है. इस सीरीज में सचिन पिलगावकर, अतुल कुलकर्णी, एजाज खान और प्रिया बापट जैसे दमदार स्टार्स हैं. इसे डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर देख सकते हैं.
द ब्रोकन न्यूज, जी5
इस वेब सीरीज की कहानी भी पूरी तरह पॉलिटिक्स पर बेस्ड है. इसमें सोनी बेंद्रे के साथ श्रिया पिलगांवकर और जयदीप अहलावत की दमदार एक्टिंग देखने को मिली है. इसे आप जी5 पर स्ट्रीम कर सकते हैं.
पंचायत और मिर्जापुर नहीं ये है इंडिया की पहली वेब सीरीज, रही थी सुपरहिट, तीन सीजन के बाद चौथे का इंतजार
वेब सीरीज के दौर में हर जोनर की वेबसीरीज का बोलबाला है. एक्शन, रोमांस से लेकर जबरदस्त ड्रामे से भरपूर वेबसीरीज भी ओटीटी पर राज कर रही हैं. सेक्रेड गेम्स हो, असुर हो या फैमिली मैन हो दर्शकों ने थ्रिलर को खूब प्यार दिया है. इसी बीच पंचायत जैसी हल्के फुल्के मिजाज की वेबसीरीज भी खूब सुर्खियों में रही हैं. ओटीटी पर वेबसीरीज से खुद को एंटरटेन करने का दौर किसी वेबसीरीज के साथ शुरू हुआ है क्या आप जानते हैं. हम आपको बता रहे हैं उस पहली वेबसीरीज के बारे में जिसके मोहब्बत से भरपूर तीन सीजन आ चुके हैं और तीनों को ही दर्शकों ने खूब प्यार दिया है.
ओटीटी पर आने वाली पहली वेबसीरीज है पर्मानेंट रूममेट्स जिसका पहला सीजन आप में से बहुत से दर्शकों ने यू ट्यूब पर देखा होगा. टीवीएफ की इस वेबसीरीज को दर्शकों ने खूब प्यार दिया. इस वेबसीरीज में लीड रोल में दिखाई दिए सुमित व्यास और निधि सिंह. पहले सीजन में ये दोनों ऐसे कपल हैं जो लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहते हैं. इसके बाद दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं. फिर स्टोरी बढ़ती है आगे. जिसके बाद कभी मुश्किल तो कभी प्यार भरे हालात सामने आते हैं. आईएमडीबी पर इस वेबसीरीज को 8.6 रेटिंग मिली हुई है.
परमानेंट रूममेट्स ट्रेलर
इस वेबसीरीज का पहला सीजन यू ट्यूब पर देखा जा सकता है. इसके बाद के सीजन एमेजन प्राइम पर रिलीज हुए हैं. सुमित व्यास और निधि सिंह दोनों अपने अपने किरदार में कुछ इस तरह रच बस गए हैं कि उनके अलावा अब इस रोल में किसी और को एक्सपेक्ट ही नहीं किया जा सकता है. दोनों की उम्दा एक्टिंग और क्यूट लवस्टोरी की बदौलत ही इस वेबसीरीज के तीन तीन सीजन हिट रहे हैं. तीसरे सीजन की कहानी जर्मने में शिफ्ट होने पर है. पांच एपिसोड्स में कहानी को बहुत खूबसूरती से बुना गया है.
मां जैसा कोई नहीं... घोंसले में रखे अपने अंडों की रखवाली करती कोबरा मां का Video वायरल, डर और रोमांच से यूजर्स हैरान
सांप (Snake) का नाम सुनते ही लोग अचानक चौकन्ने जाते हैं. उसमें भी अगर कोबरा (Cobra) या नाग का जिक्र हो तो दहशत और देखने की ललक दोनों एक साथ हिलोरें लेने लगती हैं. कुछ ही मिनटों में जान ले लेने वाले खतरनाक ज़हर से लैस ये कोबरा सामने पड़ जाए तो लोगों के पसीने छूट जाते हैं. इतने डरावने सांप में भी मां की ममता का एक पहलू आपका मन मोह लेगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है.
सोशल एक्टिविस्ट और मशहूर सपेरे ने पोस्ट किया वीडियो
इंस्टाग्राम पर बेहद मशहूर सपेरे यानी सांप पकड़ने वाले मुरली लाल ने एक मनमोहक वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में एक कोबरा को जमीन के नीचे अपने अंडों के घोंसले या बांबी की रखवाली करते हुए दिखाया गया है. वीडियो में दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के जहरीले सांपों में से सबसे आम और खतरनाक सांपों में से एक कोबरा की ममता का पहलू उजागर हो रहा है.
अंडों की रखवाली करते हुए कोबरा वाला वीडियो वायरल
सोशल एक्टिविस्ट मुरली लाल अक्सर अपने साहसी रेस्क्यू अभियानों के वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करते रहते हैं. उनके वीडियो यूजर्स को काफी पसंद आते हैं. उनके तमाम वीडियो क्लिप्स या फुटेज इन बेजुबान प्राणियों की सुरक्षा और अटैक दोनों ही प्रकृति की एक झलक पेश करता है. अंडों की रखवाली करते हुए कोबरा वाला उनका वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर वायरल हो रहा है.
फन फैलाकर लपलपाती जीभ के साथ हमले के लिए तैयार कोबरा
वीडियो में दिख रहा है कि मुरली लाल जैसे ही जमीन के अंदर छिपे हुए घोंसले को सामने लाने के लिए सावधानी से मिट्टी को खोदता है, वैसे ही कोबरा अपना फन फैलाकर लपलपाती जीभ के साथ हमले के लिए तैयार होकर अपना रक्षात्मक रुख दिखाता है. खतरे के बावजूद मां सांप मिट्टी में रखे अपने अंडों की रक्षा करने में मजबूती से आगे आती है और उनके पास आने के किसी भी कोशिश को रोकती दिखती है.
यहां देखें वीडियो :
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भाई, हमारे पास केवल एक ही दिल है, आप इसे कितनी बार जीतेंगे
इंस्टाग्राम पर इस मनमोहक वीडियो फुटेज को दो मिलियन से भी ज्यादा बार देखा गया है. व्यूअर्स ने सांप के सुरक्षात्मक रवैए और मुरली लाल की बहादुरी दोनों के लिए हैरत और तारीफ जाहिर की है. वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, एक मां की सुरक्षात्मक प्रवृत्ति हमेशा उग्र और अटूट होती है! जबकि दूसरे यूजर ने मुरली लाल के साहस की सराहना करते हुए लिखा, भाई, हमारे पास केवल एक ही दिल है, आप इसे कितनी बार जीतेंगे!
मादा कोबरा अपने अंडे को सेने की अवधि के दौरान काफी मेहनत से अपने घोंसले की रक्षा करने के लिए जानी जाती हैं. आमतौर पर यह अवधि 75-100 दिनों तक चलती है. अक्सर पेड़ों के नीचे या बांस के समूहों के बीच अपने अंडों के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाने के लिए मादा कोबरा बेहद सावधानी से पत्तियां जमा करती है.
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महिला ने ऑनलाइन मंगाया था पनीर सैंडविच, खाया तो निकला चिकन; अब मांग रही लाखों का मुआवजा
इंटरनेट के जमाने में जिंदगी बहुत ही आसान हो गई है. मोबाइल के जरिए हम घर बैठे ही अपनी मनपसंद चीज ऑर्डर कर देते हैं. एक महिला ने भूख लगने पर फूड-डिलीवरी ऐप के जरिए पनीर सैंडविच ऑर्डर किया था, मगर रेस्टोरेंट ने महिला को चिकन सैंडविच दे दिया. महिला ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य अधिकारी को की और 50 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भी मांगी.
ये मामला गुजरात के अहमदाबाद का है. निराली नाम की एक महिला ने 3 मई को अपने ऑफिस से पनीर सैंडविच ऑर्डर किया था, मगर निराली को रेस्टोरेंट ने चिकन सैंडविच ऑर्डर कर दिया. निराली पूरी तरह से शाकाहारी है. उसने बताया कि पहले उसे लगा कि पनीर इतना सख्त क्यों है, बाद में उसने सोचा कि सोया होगा. मगर सैंडविच में चिकन मौजूद था.
India Today की रिपोर्ट के अनुसार, निराली ने बताया कि पूरी जिंदगी उसने नॉन वेज नहीं खाया है. उसने अहमदाबाद नगर निगम में मौजूद उप स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी शिकायत की. शिकायत के बाद फूड डिपार्टमेंट ने रेस्टोरेंट पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इंडिया टूडे की खबर के अनुसार, निराली ने बताया कि 5 हजार रुपये काफी नहीं. उसने कहा कि मैं कंज्यूमर कोर्ट में इसकी शिकायत करूंगी.
निराली ने कहा कि उसने 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है. उसने कहा मैं इससे भी अधिक मांग सकती थी, मगर ये सही होता. उसने कहा कि अभी तक रेस्टोरेंट की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
फोटो में नजर आ रहे इस शख्स ने किया था बाहुबली का कत्ल, गोद में बैठा बच्चा है पुष्पा का विलेन, जानते हैं नाम
बाहुबली का कत्ल, बाहुबली फिल्म की सबसे बड़ी पहेली और ऐसा सीन था जिसने दर्शकों को दोबारा फिल्म तक आने के लिए मजबूर कर दिया था. हर किसी की जुबान पर यही सवाल था कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? इसी तरह से पुष्पा फिल्म में पुष्पाराज की नींद हराम करने का जिम्मा एसपी भंवर सिंह शेखावत के जिम्मे था. पुष्पा 2 में भंवर सिंह और पुष्पाराज की दुश्मनी अगले लेवल पर पहुंचने वाली है. दो ब्लॉकबस्टर फिल्में और दो कलाकार. आप इनका कनेक्शन जानते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बताए देते हैं. सोशल मीडिया पर एक फोटो सामने आई है जिसमें बाहुबली के कटप्पा और पुष्पा के एसपी भंवर सिंह शेखावत एक साथ नजर आ रहे हैं.
ट्विटर पर आई इस फोटो में बाहुबली: द बिगिनिंग (2015) के एक्टर सत्यराज नजर आ रहे हैं. सत्यराज वही एक्टर हैं जिन्होंने फिल्म में कटप्पा का किरदार निभाया था. वही कटप्पा जिसने बाहुबली का कत्ल कर दिया था. सत्यराज साउथ के जाने-माने एक्टर हैं और कटप्पा के रोल ने उन्हें दुनियाभर में लोकप्रियता दिलाई है. सत्यराज की यह फोटो काफी पुरानी है. सत्यराज की आखिरी रिलीज फिल्म सिंगापुर सैलून थी. जिसे खूब पसंद भी किया गया. सत्यराज की अगली फिल्म तोझार चेग्वेरा है.
Satyaraj & Fafa#Throwback pic.twitter.com/4nZK7fCMcc
— Christopher Kanagaraj (@Chrissuccess) May 8, 2024इस फोटो में सत्यराज की गोद में नजर आ रहा बच्चा भी कोई कम पॉपुलर नहीं है आज. इस बच्चे का नाम फहाद फाजिल है जिन्हें पुष्पा में एसपी भंवर सिंह शेखावत के किरदार में देखा गया. फहाद मलयालम फिल्मों के टॉप एक्टर हैं और हाल ही में उनकी फिल्म आवेशम ने बॉक्स ऑफिस पर 150 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. फहाद फाजिल की आने वाली फिल्मों की बात करें तो इनमें पुष्पा 2, मारीसन और वेतैन है. इन फिल्मों में उनका एकदम अलग अवतार देखने को मिलेगा. बिल्कुल आवेशम की तरह, जिसमें उन्होंने रंगा का किरदार निभाया था. इस फिल्म का 30 करोड़ का बजट था जबकि 150 करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा.
एस्ट्राजेनेका विवाद के बाद कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को डरने की कितनी जरूरत?
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (Astrazeneca) अपनी कोविड-19 वैक्सीन (Covid Vaccine) में साइड इफेक्ट (Covishield Side Effect)की बात अदालत में मानने के बाद उसकी बिक्री बंद करने वाली है. एस्ट्राजेनेका अब दुनियाभर से अपने कोरोना के टीके को वापस ले रही है. कंपनी का कहना है कि दुनियाभर में मांग कम होने के बाद वैक्सीन वापस ली जा रही है. एस्ट्राजेनेका ने 2020 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ये वैक्सीन बनाई थी. इसके फॉर्मूले से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) ने कोवीशील्ड (Covishield) नाम से वैक्सीन बनाई थी. वहीं, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में इसे वैक्सजेवरिया नाम से जाना जाता है. देश के करीब 175 करोड़ लोगों को कोविशील्ड की डोज गई.
एस्ट्राजेनेका ने इस साल 5 मार्च को वैक्सीन वापस लेने की अर्जी दी थी. मंगलवार (7 मई) से इसे लागू किया गया. अब यूरोपीय संघ में वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. अब एस्ट्राजेनेका के इस कदम के बाद भारत में कोविशील्ड लेने वाले लोग परेशान हैं. आइए जानते हैं कि क्या कोविशील्ड के वाकई साइड इफेक्ट हैं. इससे इससे जान को खतरा है? आखिर कोविशील्ड के ऐसे प्रभाव कब तक रह सकते हैं:-
हमारी सहानुभूति उन लोगों के साथ... : कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स की चिंताओं के बीच एस्ट्राजेनेका
एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के क्या हैं साइड इफेक्ट?
एस्ट्राजेनेका ने फरवरी में ब्रिटिश हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. कंपनी ने कोर्ट में एफिडेविट जमा किए थे. इसमें कहा गया था कि कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. TTS (TTS Syndrome) में किसी इंसान के शरीर में ब्लड क्लॉट हो जाते हैं. उसकी प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है. हालांकि, ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में ही होगा.
बता दें कि एस्ट्राजेनेका कंपनी पर आरोप है कि उसके वैक्सीन के इस्तेमाल से कई लोगों की मौत हो गई. कइयों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं. पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब एक हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है.
एस्ट्राजेनेका पर लगे आरोपों के बाद अब भारत में उसके फॉर्मूले से बनी कोविशील्ड को लेकर नई बहस छिड़ गई है. भारत में सबसे ज्यादा डोज कोविशील्ड की ही लगी थी. ऐसे में लोगों को डर है. हालांकि, इसके पहले भारत सरकार ये बता चुकी है कि भारत में लगने वाले कोरोना वैक्सीन के प्रभावों का बाकायदा हिसाब रखा गया. लाखों में एकाध ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें कोई साइड इफेक्ट दिखा हो.क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में सीनियर डॉक्टर धीरज कौल ने NDTV से कहा, वैक्सीन को लगे 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. जिन साइड इफेक्ट्स की बात की जा रही है, वो नए नहीं है. ये साइड इफेक्ट पहले आ चुके हैं. कोई दिक्कत आती है, तो या तो टीके के तुरंत बाद दिखती है या फिर महीने से डेढ़ महीने में असर दिखना शुरू हो जाता है. कुछ केस में असर दिखा भी. लेकिन ये 0.007 % है. लिहाज़ा अब डरने की बात नहीं है.
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कोविशील्ड को लेकर क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट?
डॉक्टर धीरज कौल कहते हैं, ब्लड में एक सेल होता है, जो क्लोटिंग को रोकता है. लेकिन अगर ये सेल बढ़ जाए, तो क्लोंटिग हो सकती है. इससे प्लेटलेट्स भी गिर सकती है. मार्च 2021 में हमने इसके केस रिपोर्ट करने शुरू किए थे. तब तकरीबन ढाई लाख लोगों में एक शख्स में ऐसे साइड इफेक्ट देखने को मिले. यानी ये रेयर केस है. ज्यादातर ये साइड इफेक्ट युवाओं में होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे लेकर एक गाइडलाइन जारी किया था.
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क्या कहती है सीरम इंस्टीट्यूट?
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड को वापस लिए जाने पर प्रतिक्रिया जताई है. दिसंबर 2021 से कोविशील्ड का प्रोडक्शन बंद है. ये सारे रेयर साइड इफेक्ट पहले से ही जाने जा चुके हैं. कोविशील्ड में हमने पारदर्शिता और सुरक्षा को सबसे ज़्यादा अहमियत दी. इसकी वजह से लाखों जानें बची हैं. हालांकि, कंपनी ने सलाह दी है कि इस स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें. कंपनी का कहना है कि ये समस्याएं 10 में से एक व्यक्ति को हो सकती हैं.
Ground Report: राहुल गांधी के अमेठी से नहीं उतरने पर क्या नाराज हैं वोटर्स? कैसा है कांग्रेस के गढ़ का मिजाज
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए पहले, दूसरे और तीसरे फेज की वोटिंग पूरी हो चुकी है. चौथे फेज के लिए 13 मई को और 20 मई को पांचवें फेज की वोटिंग होनी है. पांचवें फेज में ही यूपी की हाईप्रोफाइल सीटों अमेठी (Amethi) और रायबरेली (Rae Bareli) में वोट डाले जाने हैं. पहले ऐसी चर्चा थी कि राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ ही अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे. लेकिन राहुल गांधी इस बार अमेठी से नहीं, बल्कि रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने अमेठी से बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी के सामने गांधी परिवार से लंबे समय से जुड़े रहे किशोरी लाल वर्मा को उतारा है.
अमेठी और रायबरेली सीट को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. रायबरेली से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी 1952 और 1957 में सांसद चुने गए थे. इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं. संजय गांधी अमेठी से जीतकर संसद पहुंचे थे. राजीव गांधी ने भी अमेठी से चुनाव लड़ा. इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी अमेठी से जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी ने हरा दिया. इस बार लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार से कोई अमेठी सीट से उम्मीदवार नहीं बना है. कांग्रेस के इस फैसले को लेकर क्या अमेठी के मतदाताओं में नाराजगी है? अमेठी में सियासी माहौल को समझने के लिए NDTV आनंद नगर गांव पहुंचा.
राहुल गांधी के अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने से जहां कई लोग हैरानी में हैं. कुछ मतदाता तो कांग्रेस के इस फैसले में राजनीतिक तर्क तलाश रहे हैं. कुछ वोटर्स अपनी राय भी रखते हैं. पान के टेपरी में बैठे प्रदीप सिंह पुराने कांग्रेसी हैं. वो कहते हैं, राहुल गांधी के नहीं होने से असर तो पड़ेगा. किशोरी लाल शर्मा को लोग कम पसंद करते हैं. बेशक उन्होंने कई लोगों के काम करवाएं. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो काम न होने से नाराज हैं.
कांग्रेस और राहुल गांधी को लगातार चुनौती देने वाली स्मृति ईरानी ने अमेठी में किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाने पर तंज कसे थे. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. कुछ मतदाता भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं.हारते या जीतते, पर लड़ना जरूरी
सब्ज़ी बेचने वाले बाबू राम ने NDTV से कहा, राहुल गांधी नहीं लड़ रहे हैं. इसलिए उनके बारे में क्या कहें. लेकिन उनको लड़ना चाहिए. विनोद नाम के मतदाता कहते हैं, अगर मान लीजिए राहुल गांधी अमेठी से हार भी जाते, तो क्या बड़ी बात है? वो पिछली बार भी हारे थे. आपको लड़ना चाहिए था.
MP का शूटिंग रेंज : चुनावी गेम की सभी 29 टारगेट हिट कर पाएगी BJP या कांग्रेस देगी सरप्राइज ?
अमेठी की सियासी तस्वीर को अगर देखें, तो पता चलता है कि 2014 में स्मृति ईरानी को राहुल गांधी से मात खानी पड़ी थी. इस बार के बावजूद वह इस क्षेत्र में बनी रहीं. लोगों के साथ जुड़ी रहीं. विधानसभाओं में अपनी पकड़ मजबूत करती रहीं. स्मृति ईरानी के क्षेत्र में बने रहने के चलते बीजेपी ने 2019 में राहुल गांधी को पटखनी देकर कांग्रेस के इस मज़बूत गढ़ को ध्वस्त कर दिया.किशोरी लाल शर्मा की इच्छा- राहुल ही लड़ें चुनाव
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता स्मृति ईरानी के सामने इस बार गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा मैदान में उतरे हैं. किशोरी लाल शर्मा के साथ इलाके के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी चुनाव प्रचार कर रहे हैं. हरियाणा के रहने वाले शर्मा 22 साल की उम्र में रायबरेली आए थे. तब से वह लगातार राहुल गांधी और सोनिया गांधी का प्रचार कार्यक्रम संभाल रहे थे. अब पहली बार वह सियासी मैदान में उतरे हैं. नामांकन भरने के बाद केएल शर्मा अभी भी चाहते हैं कि राहुल गांधी ही चुनाव लड़ें.
स्मृति ईरानी ने पाकिस्तानी नेता का मामला उछाला
स्मृति ईरानी चुनाव में खुद की जीत को लेकर कॉन्फिडेंट हैं. वो नुक्कड़ सभाओं में इसे लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर भी तंज कस रही हैं. अपने ताजा बयान में स्मृति ने पाकिस्तानी नेता फवाद चौधरी के एक बयान का जिक्र भी किया. स्मृति ईरानी ने बुधवार को अमेठी के अचलपुर गांव की एक नुक्कड़ सभा में कहा, अब तक मैं कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ती थी, लेकिन अब एक पाकिस्तानी नेता ने कहा है कि स्मृति ईरानी को हराना चाहिए. अरे... तुमसे पाकिस्तान न संभलता, तुम अमेठी की चिंता करते हो.
फवाद चौधरी ने क्या कहा था?
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे फवाद चौधरी ने हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को अच्छा नेता बताते हुए ट्वीट किया था. उनके इस ट्वीट की भारत के चुनावों में चर्चा शुरू हो गई. बीजेपी की ओर से कहा गया कि पाकिस्तानी राहुल को पीएम देखना चाहते हैं.
चुनिंदा अरबपतियों और देश की गरीब जनता के बीच का यह चुनाव : राजस्थान के बीकानेर में राहुल गांधी