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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका पहुंच गए हैं. देखा जाए तो यह यात्रा बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी का पहला दौरा है. भारत के लिहाज से यह यात्रा काफी अहम है. अमेरिकी यात्रा के दौरान पीएम मोदी कई मुद्दों पर बात करेंगे.

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद वहां शराब तस्करों की चांदी हो गई थी. मुर्दों का घर यानी कब्र भी अब सुरक्षित नहीं हैं. जब कब्र से शराब की खेप निकलने लगी तो बेचारे पुलिस वाले भी हैरान हो गए. उनके माथे पर पसीने आ गए. जी हां शराबबंदी वाले बिहार में कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब मामला रोहतास के दरीगाव थाने क्षेत्र से सामने आया है. जहां कब्रिस्तान के कब्र से शराब की खेप बरामद हुआ है.
रोहतास में कब्र के अंदर मिलीं शराब: यह अवैध शराब कदिरगंज के अलावल खान मकबरा के पास स्थित कब्रिस्तान के कब्र से बरामद हुई है. मतलब शराब माफियाओं ने अब कब्रगाह को ही अपना शराब छिपाने का ठिकाना बना दिया है. बड़ी बात यह है कि पुरानी कब्रों को शराब छिपाने की जगह बनाया जा रहा है.
सासाराम के दरिगांव थाना क्षेत्र में शराब को लेकर अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां कब्रिस्तान के कब्र से शराब बरामद हुआ है. लगभग 50 लीटर से अधिक देशी महुआ शराब को दरिगांव थाना की पुलिस ने कब्र से बरामद किया है. पुलिस को सूचना मिली कि कुछ लोग कदिरगंज के अलावल खान मकबरा के पास स्थित कब्रिस्तान में शराब छुपा कर रखे हुए पुलिस जब मौके पर पहुंची तो धंधेबाज फरार हो गए. लेकिन छानबीन के दौरान पुराने कब्र में छिपाकर शराब की बोरी रखी हुई थी. जिसे पुलिस ने निकाल कर जब्त कर लिया.
बता दें कि 2 साल पहले भी इस इलाके में कब्रिस्तान से ही शराब बरामद हुआ था. अब फिर आज कब्र से शराब मिलने से सनसनी फैल गई है. चुकी पुलिस मौके पर पहुंचकर छानबीन कर रही है तथा मामले में मुकदमा दर्ज कर अज्ञात धंधेबाजों पर कार्रवाई की बात किया है. कादिरगंज के उसे कब्रिस्तान जहां से शराब मिले हैं.

देश में खेती-किसानी के सामने संकट लगातार गहरा रहा है. किसान अपनी उपज के बेहतर दाम की मांग कर रहे हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मांग रहे हैं. लेकिन उनकी इन मांगों के बीच वो तथ्य छुप जाते हैं जो किसानों के संकट को और गहरा कर रहे हैं. दरअसल देश के कई इलाकों में खेतिहर ज़मीन ही संकट में है. बीते छह सात दशक से रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल और ज़मीन के नीचे के पानी के अत्यधिक दोहन से इन खेतों की जान निकल गई है. उनकी उर्वरता ख़त्म हो चुकी है. उर्वरता बढा़ने के लिए हर साल रसायनिक खाद का फिर इस्तेमाल इस कुचक्र को और बड़ा कर रहा है. आए दिन कई रिपोर्ट इसे लेकर सतर्क करती हैं. ऐसी ही एक ताज़ा रिपोर्ट केंद्रीय भूजल बोर्ड की है. 2024 के लिए Annual Ground Water Quality Report में पंजाब और हरियाणा को लेकर विशेष तौर पर सतर्क किया गया है.
कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा के कई ज़िलों में ज़मीन के नीचे का पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं है. इन ज़िलों के भूजल में यूरेनियम, नाइट्रेट्स, आर्सेनिक, क्लोराइड, फ्लोराइड जैसे ख़तरनाक रसायनों का स्तर सुरक्षित सीमा से कहीं ज़्यादा है.
इन तत्वों में अगर यूरेनियम की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के 23 में से 20 ज़िलों और हरियाणा के 22 में से 16 ज़िलों में यूरेनियम का स्तर सुरक्षित सीमा 30 parts per billion (ppb) से कहीं ज़्यादा है. जबकि 2019 में पंजाब में ऐसे ज़िलों की संख्या 17 और हरियाणा में 18 थी. साफ़ है दोनों ही राज्यों में उन ज़िलों की संख्या बढ़ी है जहां भूजल में यूरेनियम सुरक्षित मात्रा से ज़्यादा है.
- पानी में अगर यूरेनियम का स्तर 30 ppb से ज़्यादा हो तो वो पीने के लिए सुरक्षित नहीं होता. इतना यूरेनियम शरीर के अंदरूनी अंगों को नुक़सान पहुंचा सकता है और पेशाब की नली के कैंसर का ख़तरा रहता है और किडनी में भी toxicity बढ़ती है.
- इस रिपोर्ट के मुताबिक भूजल में यूरेनियम का स्तर इतना बढ़ने की कई वजह हैं. जैसे मानव जनित गतिविधियां, बढ़ता शहरीकरण और खेती में फॉस्फेट युक्त खाद का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल.
अध्ययन बताते हैं कि फॉस्फेट युक्त खाद में यूरेनियम का घनत्व 1 mg/kg से 68.5 mg/kg तक होता है. फॉस्फेट युक्त खाद फॉस्फेट की चट्टानों - जिन्हें phosphorite कहा जाता है उनसे बनती है. वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के मुताबिक फॉस्फेट की चट्टानों में यूरेनियम की मात्रा 70 से 800 ppm तक हो सकती है. फॉस्फेट की खाद के इस्तेमाल से ये यूरेनियम खेतों की ज़मीन से रिसकर नीचे के पानी में मिल जाता है. राजस्थान से 42 फीसदी सैंपल्स और पंजाब से 30 फीसदी सैंपल्स में यूरेनियम का concentrations 100 ppb से ज़्यादा पाया गया.
इससे ये साफ़ है कि इन दोनों राज्यों में भूगर्भीय जल में यूरेनियम का स्तर बहुत ज़्यादा है. यूरेनियम की अधिक मात्रा उन जगहों पर ज़्यादा पाई गई जहां ज़मीन के अंदर का पानी काफ़ी कम हो चुका है. उस पानी को काफ़ी हद तक निकाला जा चुका है. इससे ज़मीन के नीचे के बचे हुए पानी में यूरेनियम जैसे तत्वों का कंसंट्रेशन यानी सघनता बढ़ गई है.
लेकिन चिंता सिर्फ़ यूरेनियम की ही नहीं है. कई अन्य ज़हरीले रसायन भी भूजल में बढ़ते जा रहे हैं. इनमें से एक है नाइट्रेट. भूजल में नाइट्रेट का सुरक्षित मात्रा से ज़्यादा होना पर्यावरण और जनता की सेहत के लिए बड़ी चिंता की बात है. नाइट्रेट की मात्रा उन खेतिहर इलाकों में ज़्यादा पाई गई जहां नाइट्रोजन पर आधारित उर्वरकों का ज़्यादा इस्तेमाल हुआ जैसे synthetic ammonia, nitric acid, ammonium nitrate और urea. इसके अलावा जहां पशुओं से जुड़ा कचरा काफ़ी ज़्यादा है वहां भी ज़मीन के नीचे के पानी में नाइट्रेट का स्तर बढ़ा है.
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 21 ज़िलों और पंजाब में 20 ज़िलों के भूजल मेंं नाइट्रेट सुरक्षित स्तर से कहीं ज़्यादा है. हरियाणा में 14.56 % सैंपल्स यानी 128 सैंपल्स में नाइट्रेट का स्तर तय मात्रा 45 mg प्रति लीटर से ज़्यादा पाया गया.
पंजाब में 12.58% सैंपल्स यानी 112 सैंपल्स में नाइट्रेट का स्तर तय मात्रा 45 mg प्रति लीटर से ज़्यादा पाया गया. पंजाब के बठिंडा में तो स्थिति सबसे ज़्यादा ख़राब है. यहां 46% सैंपल्स में नाइट्रेट का स्तर सुरक्षित मात्रा से ज़्यादा था. बठिंडा इस मामले में देश के 15 सबसे प्रभावित ज़िलों में शामिल है.
बठिंडा की बात कर रहे हैं तो आपको बता दें बठिंडा से बीकानेर ट्रेन को पंंजाब की कैंसर ट्रेन कहा जाता है क्योंकि इसमें कैंसर के सैकड़ों मरीज़ पंजाब से इलाज के लिए राजस्थान जाते हैं. ये बताता है कि ये ज़हरीले रसायन किस तरह पंजाब में कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हैं. हम बात कर रहे थे नाइट्रेन की. तो भूगर्भीय जल में नाइट्रेट के स्तर का बहुत ज़्यादा होना. नवजात बच्चों में blue baby syndrome की वजह बन सकता है. blue baby syndrome में नवजात बच्चों की त्वचा नीली या पर्पल रंग की दिखती है. अगर पीने के पानी में नाइट्रेट की मात्रा तय स्तर से ज़्यादा होती है तो ये पीने लायक नहीं होता.
भूजल में घुलने वाला एक और ज़हर है आर्सेनिक. पंजाब के 12 ज़िलों और हरियाणा के 5 ज़िलों में आर्सेनिक का स्तर सुरक्षित स्तर 10 ppb से ज़्यादा है. पानी में आर्सेनिक के होने से त्वचा से जुड़ी बीमारियां और कैंसर तक हो सकता है. लंबे समय में दिल से जुड़ी बीमारियां और डायबिटीज़ हो सकता है. ज़मीन के नीचे पानी में आर्सेनिक 100 मीटर की गहराई तक पाया गया है. इससे ज़्यादा गहराई में आर्सेनिक की मात्रा कम या नहीं पाई गई.
इसके अलावा भूजल में क्लोराइड की अधिक मात्रा भी चिंता की वजह है. कुदरती या मानवीय कारणों से क्लोराइड पानी में घुलता है. घर से निकलने वाले कचरे और उर्वरकों के इस्तेमाल से भूजल में क्लोराइड की मात्रा बढ़ती है. भूजल में अगर क्लोराइड की मात्रा 1,000 mg/L से ज़्यादा हो तो उसे पीने के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता. हरियाणा में 9.67% सैंपल्स और पंजाब में 2% सैंपल्स में क्लोराइड इस सुरक्षित सीमा से ज़्यादा पाया गया.
साफ़ है कि देश में हरित क्रांति में बड़ी भूमिका निभाने वाले दोनों ही राज्य पंजाब और हरियाणा की ज़मीन के नीचे का पानी अधिकतर जगह ज़हरीला हो चुका है. पीने के लायक नहीं है. देश की खाद्य सुरक्षा में भूजल की बड़ी अहमियत है. कई इलाकों में सिंचाई भूजल के ही भरोसे होती है. इसका ज़हरीले होने की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी. इस सिलसिले में पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल तक कई बार चेतावनी दे चुकी हैं. ऊपर से खेती, बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण इस पानी का भयानक दोहन हो चुका है.
आईआईटी दिल्ली और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी - नासा की हाइड्रोलॉजिकल साइंसेस लेबोरेटरी की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक 2003 से 2020 के बीच के 17 सालों में पंजाब और हरियाणा में भूजल में क़रीब 64.6 अरब घन मीटर की कमी आई है. ये पानी इतना है कि इससे 2.5 करोड़ ओलंपिंक के साइज़ के स्विमिंग पूल भरे जा सकते हैं. Hydrogeology Journal में Detection and Social Economic Attribution of Groundwater Depletion in India नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक गुड़गांव और फरीदाबाद में भूजल में बहुत ही ज़्यादा कमी देखी गई है. इन दोनों ही इलाकों में भयानक तेज़ी से शहरीकरण हुआ है. दरअसल जितना पानी रिचार्ज होता है, उससे कई गुना पानी ज़मीन से निकाल लिया जाता है. और जो पानी रिचार्ज होता भी है, वो अपने साथ कई ज़हरीले रसायनों को ज़मीन के अंदर के पानी में मिला देता है. इसका असर ये होगा कि देर सबेर कृषि की उत्पादकता घटेगी और मिट्टी की गुणवत्ता बेकार होगी.
ऐसा नहीं है कि भूजल में ये चिंताजनक गिरावट सिर्फ़ पंजाब, हरियाणा तक सीमित हो, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और केरल के भी कई इलाके ऐसे हैं जिन्हें इस लिहाज़ से हॉटस्पॉट माना गया है और जहां तुरंत इससे निपटने के उपाय किए जाने की ज़रूरत है. लेकिन पंजाब, हरियाणा में भूजल सिर्फ़ बहुत तेज़ी से कम नहीं हो रहा बल्कि भयानक ज़हरीला भी हो रहा है. ऊपर से लगातार रसायनों के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता घट गई है, उसमें ज़हरीले रसायन बढ़ गए हैं. इससे पंजाब में ख़ासतौर पर खेती का संकट खड़ा हो गया है जो एक आर्थिक, सामाजिक संकट भी बन रहा है.
पंजाब की खेतीयोग्य ज़मीन का 93% हिस्सा अनाज उत्पादन में इस्तेमाल होता है. लेकिन ये ज़मीन रसायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल और मोनोकल्चर यानी एक ही पौध की लगातार उपज से ख़राब होती जा रही है. मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है.रसायनिक खाद, कीटनाशकों का इस्तेमाल इस कदर हुआ है कि लोगों की सेहत को गंभीर नुक़सान पहुंचा है. कई ज़िलों में कैंसर के मामले काफ़ी बढ़ गए हैं. पंजाब के मालवा इलाके में कैंसर की दर सबसे भयानक है. यहां प्रति एक लाख लोगों में से 100 से 110 लोग कैंसर से पीड़ित हैं जो राष्ट्रीय औसत से कहीं ज़्यादा है. पंजाब की खेतीयोग्य जम़ीन के 80% इलाके में भूजल का अत्यधिक दोहन हो चुका है.
.कई जानकार मानते हैं कि पंजाब अपनी खेती में असंतुलन से पैदा होने वाली इन तमाम समस्याओं से निपट सकता है अगर वो धान और गेहूं की पैदावार की ज़िद छोड़ दे. इन दोनों ही फसलों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है.
विज़ुअल्स इन - धान के खेत हों. धान की फसल को तो बहुत ही ज़्यादा पानी चाहिए. धान से चावल निकलता है. एक किलोग्राम चावल के लिए क़रीब 2500 लीटर पानी की ज़रूरत होती है. भारत में इससे भी ज़्यादा पानी धान में इस्तेमाल किया जा रहा है. अब आप समझ जाइए कि जो चावल आप खा रहे हैं, उसके लिए कितना पानी लगता है. ये पानी हमारे जल स्रोतों पर दबाव बढ़ा रहा है. भारत में सबसे ज़्यादा पानी धान की सिंचाई में ही इस्तेमाल होता है.
जानकारों के मुताबिक धान और गेहूं के अलावा किसानों को crop diversification यानी अलग अलग तरह के अनाजों के उत्पादन पर ज़ोर देना चाहिए जिन्हें पानी की कम ज़रूरत हो और जिनसे ज़्यादा मुनाफ़ा मिले. हरियाणा ने इस दिशा में मेरा पानी, मेरी विरासत नाम से एक मुहिम शुरू की है जिसमें किसानों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत वाली फ़सलों जैसे धान के बजाय कम पानी वाली फ़सलों जैसे मक्का और सोयाबीन उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. इससे हरियाणा में धान की उपज एक लाख हेक्टेयर इलाके में घटी है. इसके अलावा जानकार रसायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करते हुए जैविक यानी ऑर्गैनिक फार्मिंग पर भी ज़ोर देते हैं. आंध्रप्रदेश में ऐसे ही एक कार्यक्रम का मक़सद 2027 तक 60 लाख किसानों को ऐसी फसलों की ओर मोड़ना है जो रसायन मुक्त हों और जिन पर पर्यावरण में बदलाव का ख़ास असर न पड़े.
भारत दुनिया के उन देशों में जहां पानी की कमी का दबाव बढ़ गया है. गर्मियां शुरू होने से काफ़ी पहले ही कई इलाकों से सूखे की मार ख़बर शुरू हो जाती है. इस सूखे की कई वजह हैं. मानवीय गतिविधियों से बढ़ रहा क्लाइमेट चेंज सबसे बड़ी वजह. ऐसे में ज़रूरी है कि सूखे का असर अनाज के मामले में आत्मनिर्भरता पर न पड़े, इसके लिए पहले ही सचेत हो जाना चाहिए. इसके लिए एक काम तो ये किया जा सकता है कि उन फसलों को कम किया जाए जो पानी बहुत ज़्यादा मांगती हैं. भारत में ऐसी पांच प्रमुख फ़सलें हैं धान, गन्ना, कपास, सोयाबीन और गेहूं. जो भारत के सिंचित इलाके के 70% से ज़्यादा हिस्से में उगाई जाती हैं.
.धान की बात करें तो दुनिया में सबसे ज्यादा खपत इसकी ही होती है और भारत इसके सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. भारत में सबसे ज़्यादा उपज धान की ही होती है. लेकिन धान उगाने के लिए काफ़ी पानी चाहिए. पारंपरिक खेती के तहत एक किलो धान के लिए 3000 से 5000 लीटर पानी की ज़रूरत होती है. धान के लिए खेतों को पानी से भरना पड़ता है. लेकिन इतना पानी कब तक उपलब्ध होगा कहा नहीं जा सकता. इसलिए ज़रूरी है कि धान को कम कर उसकी जगह कुछ और विकल्पों पर भी ध्यान दिया जाए.
कॉटन यानी कपास को सफ़ेद सोना कहा जाता है. ख़रीफ़ की इस फसल के मामले में भारत दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है. लेकिन ये फसल भी बहुत पानी खाती है. एक किलो कपास उगाने के लिए 22,500 लीटर पानी की ज़रूरत होती है. ख़ास बात ये है कि भारत में अधिकतर कपास उन राज्यों में उगाई जाती है जो अपेक्षाकृत सूखे हैं जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश वगैरह. .
गन्ना भी एक ऐसी फसल है जिसे उगने के लिए बहुत ज़्यादा पानी चाहिए. भारत इस नक़दी फसल यानी कैश क्रॉप का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. पानी की कमी से ये फसल ख़राब हो सकती है. एक किलो गन्ना उगाने के लिए 1500 से 3000 लीटर पानी की ज़रूरत होती है.
- .सोयाबीन सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली फसलों में से एक है. भारत की मिट्टी के लिए ये काफ़ी मुफ़ीद फसल है. सोयाबीन उगाने के लिए भी काफ़ी पानी की ज़रूरत होती है. एक किलो सोयाबीन के लिए 900 लीटर पानी की ज़रूरत पड़ती है.
- हरित क्रांति के बाद भारत में गेहूं के उत्पादन में ज़बर्दस्त तेज़ी आई. भारत में धान के बाद सबसे ज़्यादा गेहूं की ही खपत है. लेकिन गेहूं के उत्पादन में पानी की खपत काफ़ी ज़्यादा है लगभग उतनी ही जितनी सोयाबीन में. एक किलो गेहूं उगाने के लिए क़रीब 900 लीटर पानी की ज़रूरत पड़ती है.
लेकिन ये सभी वो फसलें हैं जिनकी भारत में सबसे ज़्यादा खपत होती है. चिंता की बात ये है ये फसलें पानी तो ज़्यादा खाती ही हैं क्लाइमेट चेंज के तहत होने वाले बदलावों को लेकर भी संवेदनशील होती हैं. ऐसे में या तो इन फसलों की कम पानी वाली प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाए या फिर फसलों के विविधीकरण यानी Crop diversification की ओर तेज़ी से बढ़ा जाए. इस दिशा में श्रीअन्न के नाम से प्रसिद्ध मोटे अनाजों की ओर वापस लौटना होगा. ज्वार, बाजरा, रागी, सामा, कोदों, कुटकी, कुट्टू जैसी फसलों की ओर आगे बढ़ना होगा जो पानी भी कम लेती हैं, सेहत के लिए भी बेहतर होती हैं और जिन पर क्लाइमेट चेेंज का असर भी कम पड़ता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत की फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ भी फोन पर बात की. बातचीत के दौरान ट्रंप ने युद्ध समाप्ति के मुद्दे पर चर्चा की. प्रेसिडेंट ट्रंप की इस बातचीत के बाद ऐसा माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच 3 सालों से चल रहा युद्ध अब खत्म हो सकता है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप से बातचीत को सार्थक बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पूरी जानकारी दी है.
क्या कहा ट्रंप नेे?ट्रंप ने कहा कि वह और पुतिन, यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए ‘‘बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गए हैं और ‘‘साथ मिलकर, बहुत निकटता से काम करेंगे. उन्होंने कहा, मैंने अभी यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात की. बातचीत बहुत अच्छी रही. वह, राष्ट्रपति पुतिन की तरह, शांति बनाना चाहते हैं. हमने युद्ध से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की, लेकिन मुख्य रूप से, बैठक शुक्रवार को म्यूनिख में आयोजित की जा रही है, जहां उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और राज्य सचिव मार्को रुबियो प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. मुझे उम्मीद है कि उस बैठक के नतीजे सकारात्मक होंगे. अब इस युद्ध को रोकने का समय आ गया है, जहां बड़े पैमाने पर और पूरी तरह से अनावश्यक मौत और विनाश हुआ है.
ट्रंप से बातचीत के ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स लिखा कि हमने शांति हासिल करने के अवसरों के बारे में लंबे समय तक बात की है. टीम स्तर पर एक साथ काम करने की हमारी तत्परता और यूक्रेन की तकनीकी क्षमताओं पर भी चर्चा की की गई है.अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया और यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर बात की. डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस बात की जानकारी दी. ट्रंप इस बातचीत से बेहद खुश नजर आए. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लंबी और अत्यधिक सार्थक बातचीत की, जिसमें वे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए तुरंत बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए.
ट्रंप ने क्या कहाट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देशों का दौरा करने का निमंत्रण दिया और अब वे इस बातचीत के बारे में यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को तुरंत कॉल कर सूचित करेंगे. क्रेमलिन ने भी अलग से कहा कि कॉल डेढ़ घंटे तक चली और पुतिन और ट्रंप इस बात पर सहमत हुए कि एक साथ काम करने का समय आ गया है.
रूस ने क्या कहाक्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने ट्रंप से यह भी कहा कि रूस द्वारा 2022 में अपने पश्चिमी समर्थक पड़ोसी पर आक्रमण से उत्पन्न यूक्रेन संघर्ष का दीर्घकालिक समाधान संभव है और उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को मास्को में आमंत्रित किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मार्से शहर के ऐतिहासिक माजारग्वेज युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया. यह वो शहर है, जहां हजारों भारतीय सैनिकों ने कुर्बानी दी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगे के रंग वाले फूलों से निर्मित पुष्पचक्र अर्पित कर सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सपूतों को याद किया. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने भी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. सीडब्ल्यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ‘‘इस कब्रिस्तान में 1914-18 के प्रथम युद्ध में जान गंवाने वाले 1,487 और 1939-45 के युद्ध में बलिदान देने वाले 267 जवानों के स्मारक हैं. आइए जानते हैं 1914 में भारतीय जवानों को वो कुर्बानी...
More than 100,000 Indians fought for France in 1914. Ten thousand never returned. They set foot on the soil of Marseille before fighting in the mud of the trenches, unaware that they were marching to their deaths.
Their sacrifice binds France and India forever. pic.twitter.com/lmjbawDCdh
आधुनिक इतिहास के पन्नों में 2 युद्ध बेहद भीषण हुए. इनमें पहला युद्ध हम प्रथम विश्व युद्ध के तौर पर जानते हैं. इसकी शुरुआत 28 जुलाई 1914 को हुई थी. यह युद्ध यूरोप, अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व तक फैल गया था. ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और उनके सहयोगी देशों ने जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन सम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इस युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा होने के कारण भारत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. रिपोर्ट के अनुसार, भारत से लगभग 10 लाख से अधिक सैनिक इस युद्ध में शामिल हुए थे.
हजारों भारतीयों ने यूरोप के युद्धक्षेत्रों में बहादुरी से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई थी. मार्से (Marseille) फ्रांस के दक्षिणी तट पर स्थित एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, भारतीय सैनिकों के लिए यूरोप में प्रवेश करने का पहला द्वार था. यहां से भारतीय सैनिकों को फ्रांस और बेल्जियम के युद्ध के मैदान में भेजा जाता था.
क्यों भेजे गए थे भारतीय सैनिक?
प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन को अपनी सेना को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त सैनिकों की आवश्यकता थी. ब्रिटिश सरकार ने भारत से सैनिकों को यूरोप भेजने का फैसला लिया था. सितंबर 1914 में भारतीय सेना की लाहौर डिवीजन और मेरठ डिवीजन को पश्चिमी मोर्चे (Western Front) की ओर रवाना किया गया था. 26 सितंबर 1914 को भारतीय सैनिकों का पहला समूह मार्से पहुंचा था. यहां से विभिन्न जगहों पर भारतीय सैनिकों को भेजा गया.
भारतीय सैनिकों के सामने क्या चुनौतियां थी?
- नए वातावरण से परेशान थे भारतीय: भारतीय सैनिक गर्म जलवायु में रहने वाले थे, लेकिन फ्रांस और य़ूरोप में ठंड, बारिश के कारण उन्हें युद्ध करने में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा.
- जर्मन सेना बेहद मजबूत थी: भारत के सैनिकों का मुकाबला आधुनिक जर्मन सेना से हो रहा था, जो कि बेहद मबजूत थी और उसके पास कई आधुनिक हथियार थे. इसी कारण कई भारतीयों को जान गंवानी पड़ी.
- भारतीयों ने पहले इस तरह की लड़ाई नहीं की थी: भारतीय सैनिकों को इन हालत में लड़ने की पहले आदत नहीं थी. इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ा और हजारों की जान चली गयी.
मार्से भारतीयों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता. मार्से भारतीय सैनिकों के लिए सिर्फ एक बंदरगाह नहीं था, बल्कि वह स्थान था, जहां से उन्होंने एक नए युद्धक्षेत्र में कदम रखा और अपने साहस का परिचय दिया था. तमाम चुनौतियों के बाद भी भारतीय सैनिक युद्ध के मैदान में डटे रहे थे. हजारों सैनिकों की जान चली गयी थी, लेकिन भारतीयों ने अपने कदम को पीछे नहीं किया था. ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेनाओं के लिए लॉजिस्टिक बेस के तौर पर यह शहर स्थापित था. इस बंदरगाह से फ्रांस और बेल्जियम के युद्धक्षेत्रों में तमाम संसाधन पहुंचते थे.
- भारतीय सैनिकों की वीरता का लोहा दुनिया ने माना.
- प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया था.
- 11 भारतीय सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस (Victoria Cross) मिला, जो ब्रिटेन का सर्वोच्च सैन्य सम्मान माना जाता था.
- कई भारतीय सैनिकों को मेडल ऑफ ऑनर, मिलिट्री क्रॉस और फ्रेंच लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था.
- इंडिया गेट (दिल्ली) – प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया.
- नीव चैपल मेमोरियल (Neuve-Chapelle Memorial, फ्रांस) – भारतीय सैनिकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए बनाया गया.
- ब्राइटन (Brighton, इंग्लैंड) में चत्री स्मारक – भारतीय सैनिकों को समर्पित एक स्मारक बनाया गया.
भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में अद्वितीय बहादुरी दिखाई थी. इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला. भारत में भी इसका असर हुआ. युद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता के बावजूद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को समानता या स्वतंत्रता नहीं दी, जिसके कारण भारत में स्वतंत्रता को लेकर लोगों में जागरुकता फैली. लोग अंग्रेज सरकार के खिलाफ अधिक मुखर हुए. महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन को और तेज कर दिया. देश के तमाम हिस्सों से शहीद हुए सैनिकों के कारण लोगों के बीच अंग्रेज सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ गयी.
मजारग्वेज युद्ध समाधि कब बनाया गया?
मारे गए भारतीयों के सम्मान में इसका निर्माण करवाया गया. भारतीय सैनिकों की कब्रों को विशेष मुस्लिम, हिंदू और सिख परंपराओं के अनुसार बनाया गया है. हिंदू और सिख सैनिकों के लिए कई समाधियों पर संस्कृत और गुरुमुखी में शिलालेख खुदे हुए हैं. मुस्लिम सैनिकों के लिए कब्रें मक्का की दिशा में बनाई गई हैं. ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के साझा युद्ध इतिहास के तौर पर पूरी दुनिया में इसे याद किया जाता है.
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पेरिस में मिशन मोदी के 3 दिन, भारत फ्रांस रिश्ते की नई कहानी की हुई शुरुआत, जानिए प्रमुख बातें

Donald Trump Calls Vladimir Putin: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया और यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर बात की. डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस बात की जानकारी दी. ट्रंप इस बातचीत से बेहद खुश नजर आए. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लंबी और अत्यधिक सार्थक बातचीत की, जिसमें वे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए तुरंत बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए.
ट्रंप ने क्या कहाट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देशों का दौरा करने का निमंत्रण दिया और अब वे इस बातचीत के बारे में यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को तुरंत कॉल कर सूचित करेंगे. क्रेमलिन ने भी अलग से कहा कि कॉल डेढ़ घंटे तक चली और पुतिन और ट्रंप इस बात पर सहमत हुए कि एक साथ काम करने का समय आ गया है.
रूस ने क्या कहाक्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने ट्रंप से यह भी कहा कि रूस द्वारा 2022 में अपने पश्चिमी समर्थक पड़ोसी पर आक्रमण से उत्पन्न यूक्रेन संघर्ष का दीर्घकालिक समाधान संभव है और उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को मास्को में आमंत्रित किया.
ट्रंप-पुतिन कॉल इस सप्ताह एक कैदी की अदला-बदली के बाद हुई है. मॉस्को ने अमेरिकी शिक्षक मार्क फोगेल को मुक्त कर दिया, जबकि वाशिंगटन ने रूसी क्रिप्टोकरेंसी किंगपिन अलेक्जेंडर विन्निक को रिहा कर दिया. ट्रंप ने इसके लिए भी पुतिन को धन्यवाद किया है.ट्रंप का कॉमन सेंसट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में रूसी राष्ट्रपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुतिन ने यहां तक कि मेरे आदर्श वाक्य, कॉमन सेंस का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, हम दोनों रूस/यूक्रेन युद्ध में होने वाली लाखों मौतों को रोकना चाहते हैं. ट्रंप ने कहा, हम एक-दूसरे के देशों का दौरा करने सहित, बहुत करीब से मिलकर काम करने पर सहमत हुए. हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि हमारी संबंधित टीमें तुरंत बातचीत शुरू करेंगी और हम यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को बुलाकर उन्हें बातचीत की जानकारी देंगे, जो मैं अभी कर रहा हूं. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो, सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और मध्य पूर्व में अपने दूत स्टीव विटकॉफ़ को बातचीत का नेतृत्व करने के लिए कहा था, मुझे लगता है कि यह सफल होगी.

त्रिवेणी के तट पर माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जनसैलाब उमड़ रहा है. श्रद्धालु गंगा तट पर डुबकी लगा रहे हैं. माघी पूर्णिमा पर 3 से 4 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान का अनुमान है. फ्रांस पहुंचे पीएम मोदी बुधवार को मार्सिले में ‘Mazargues War Cemetery पहुंच गए हैं. यहां एक स्मारक है, जो विश्वयुद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों की स्मृति में बना है. यहां पीएम मोदी शहीद वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देंगे. उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस दौरान मौजूद रहेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में बताया कि मार्सिले में लैंड किया. भारत की स्वतंत्रता की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है. मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए. वीर सावरकर की बहादुरी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.

मेला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को दोपहर दो बजे तक 1.83 करोड़ से अधिक लोगों ने संगम और गंगा में स्नान किया. 13 जनवरी से अब तक 48 करोड़ से अधिक लोग यहां स्नान कर चुके हैं. सभी कल्पवासियों से यातायात नियमों का पालन करने और केवल अधिकृत पार्किंग का उपयोग करने का अनुरोध किया गया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार सुबह चार बजे से ही लखनऊ में अपने आधिकारिक आवास में बने ‘वार रूम से मेला क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं. उनके साथ पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार, प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद और अन्य अधिकारी भी मौजूद हैं.
क्रिकेटर अनिल कुंबले ने आम श्रद्धालुओं की तरह अपनी पत्नी चेतना रामतीर्थ के साथ संगम में स्नान किया. बिना वीआईपी प्रोटोकॉल के वह पत्नी के साथ नाव से संगम गए और स्नान के साथ ही सूर्यदेव को अर्घ्य दिया.
महाकुंभ मेले में कल्पवास कर रहे करीब 10 लाख कल्पवासियों का संकल्प माघी पूर्णिमा स्नान के साथ आज पूरा हो जाएगा और वे अपने अपने घरों के लिए प्रस्थान करना शुरू करेंगे.
महाकुंभ मेले में कल्पवास कर रहे करीब 10 लाख कल्पवासियों का संकल्प माघी पूर्णिमा स्नान के साथ आज पूरा हो जाएगा और वे अपने अपने घरों के लिए प्रस्थान करना शुरू करेंगे.
गुरु एवं किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर आर. मणिकंदन ने महाकुंभ के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में गुजारा गया एक-एक क्षण अमृत तुल्य है.
साधु-संतों, संन्यासियों और आम नागरिकों को मिल रही सुविधाओं को लेकर हर्ष जताते हुए गुरु मणिकंदन ने कहा कि सीएम योगी का प्रयास अतुलनीय है. उनके अनुसार, एक सच्चा सनातनी और सनातन धर्म का मर्मज्ञ ही इस प्रकार वृहद आयोजन को सुप्रबंधित और सुप्रतिष्ठित बना सकता है.
मणिकंदन अघोर तंत्राचार्य होने के साथ ही काशी के मणिकर्णिका घाट में होने वाली मसान होली (चिताभस्म से खेली जाने वाली होली) में भी नरमुंडों की माला धारण करने में अग्रणी भूमिका में रहते हैं.
रघुवंश संकल्प सेवा संघ तथा अयोध्या के राम-वैदेही मंदिर के प्रमुख स्वामी दिलीप दास त्यागी ने बताया कि यह परम सौभाग्य का क्षण है कि माघ पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर पुण्य की डुबकी लगाने का अवसर प्राप्त हुआ. ऐसा लग रहा है कि हमारा जीवन धन्य हो गया.
वाराणसी स्थित सुमेर पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने भी आज संगम में स्नान किया. इसके बाद उन्होंने इसे दिव्य और भव्य महाकुंभ बताया. उन्होंने कहा कि इस पुष्य नक्षत्र में किया गया स्नान करोड़ों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी होता है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि उनका प्रशासनिक प्रबंधन अत्यंत श्रेष्ठ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) फ्रांस की अपनी यात्रा समाप्त कर अमेरिका के लिए रवाना हो गए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों खुद उन्हें छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आए. उन्होंने गले लगाकर पीएम मोदी को विदा किया. फ्रांस यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा धन्यवाद फ्रांस! एक सार्थक यात्रा समाप्त हुई, जहां मैंने एआई, वाणिज्य, ऊर्जा और सांस्कृतिक संबंधों से लेकर कई कार्यक्रमों में भाग लिया. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और फ्रांस के लोगों का आभार. पीएम मोदी का फ्रांस दौरा दोनों देशों के संबंधों के नजरिए से खासा अहम रहा. इस दौरान मोदी और मैक्रों ने अपनी गहरी दोस्ती को जाहिर किया.
पीएम मोदी की यात्रा के पहले दिन राष्ट्रपति मैक्रों की ओर से आयोजित रात्रिभोज में दोनों नेताओं ने बातचीत की. अगले दिन एआई एक्शन समिट में भी यह सौहार्दपूर्ण माहौल जारी रहा. भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से शिखर सम्मेलन की मेजबानी की.
मोदी वेंस मुलाकात: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पेरिस में एआई एक्शन शिखर सम्मेलन के इतर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी भारतीय मूल की पत्नी उषा व बेटों इवान और विवेक से मुलाकात की. मोदी ने वेंस परिवार के साथ मुलाकात की तस्वीरें ‘एक्स पर पोस्ट कीं। उन्होंने लिखा, “अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनके परिवार के साथ एक शानदार मुलाकात हुई. हमने विभिन्न विषयों पर बहुत अच्छी बातचीत की. इससे पहले, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से साझा किए गए एक वीडियो में मोदी पेरिस में वेंस के साथ द्विपक्षीय वार्ता करते नजर आ रहे हैं, जबकि उषा यह सब देख रही हैं.
मोदी ने बताया भारत का विजन: पीएम मोदी ने एआई एक्शन समिट में भारत के विजन को दुनिया के सामने रखा. उन्होंने कहा कि भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन को लेकर कहा कि भारत अपना अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने के लिए तैयार है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एआई का भविष्य सबके लिए अच्छा हो. पीएम ने कहा कि हमें AI से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए वैश्विक मानकों की जरूरत है. भारत ने अपने 1.4 अरब से अधिक लोगों के लिए बहुत कम लागत पर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को सफलतापूर्वक तैयार किया है.
एआई समिट में चीन को पड़ी लताड़: एआई समिट में अमेरिका ने चीन को जमकर सुना दिया. साथ ही यूरोपीय संघ में शामिल अपने दोस्तों को भी उससे सतर्क रहने की सलाह दे डाली. इस समिट में अमेरिका ने एक तरह से जता दिया कि एआई के क्षेत्र में भी बॉस तो वही है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी जेडी वेन्स (US Vice President JD Vance) ने सोमवार को टेक्नोलॉजी पर चल रहे पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris Summit) में सभी देशों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर अत्यधिक रेगुलेशंस लगाने के विचार पर चेतावनी दी. उन्होंने यूरोपीय सहयोगियों और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मामले में सरकारी पकड़ मजबूत करने पर चेतावनी दी.
दुनिया के टॉप सीइओ से पीएम मोदी ने की बात: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गूगल के CEO सुंदर पिचाई से पेरिस में मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने सुंदर पिचाई को भारत आने और एआई के क्षेत्र निवेश कर युवाओं पर दांव लगाने की बात कही है. पीएम मोदी ने पिचाई से मुलाकात के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट भी किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आपसे मिलकर खुशी हुई सुंदर पिचाई. भारत एआई में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है और इसका उपयोग जनता की भलाई के लिए कर रहा है. हम दुनिया से आग्रह करते हैं कि वे आएं और हमारे देश में निवेश करें और हमारी युवा शक्ति पर दांव लगाएं!
वाणिज्य दूतावास का उद्धाटन: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को संयुक्त रूप से मासे शहर में भारत के नए वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति मैक्रों के निमंत्रण पर फिलहाल फ्रांस के दौरे पर हैं. दोनों नेताओं ने बटन दबाकर संयुक्त रूप से मासे शहर में नए वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया. मासे में भारत के नए वाणिज्य दूतावास को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भारत ने इस दूतावास को खोलने की घोषणा 2023 में मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान की थी. यह दूतावास दक्षिणी फ्रांस में बसे भारतीय प्रवासी समुदाय को सेवाएं प्रदान करेगा. इससे लोगों को पेरिस जाकर कांसुलर कार्य करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
मोदी और मेक्रो की ट्यूनिंग: इस दौरे में पीएम मोदी और मेक्रो के बीच गजब की ट्यूनिंग देखने को मिली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की अपनी यात्रा समाप्त कर अमेरिका के लिए रवाना हो गए. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों खुद उन्हें छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आए. उन्होंने गले लगाकर पीएम मोदी को विदा किया.पीएम मोदी की यात्रा के पहले दिन राष्ट्रपति मैक्रों की ओर से आयोजित रात्रिभोज में दोनों नेताओं ने बातचीत की. अगले दिन एआई एक्शन समिट में भी यह सौहार्दपूर्ण माहौल जारी रहा. भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. इसके बाद व्यक्तिगत तालमेल को दर्शाने वाले एक विशेष संकेत में मंगलवार शाम को पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने विमान में पेरिस से मार्सिले के लिए एक साथ उड़ान भरी.
मोदी और मैक्रों ने दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने हिंद-प्रशांत और विभिन्न वैश्विक मंचों एवं पहल में अपनी भागीदारी को और गहरा करने की प्रतिबद्धता भी जताई. एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कक्षा योजना की सफल शुरुआत का स्वागत किया. इस योजना के तहत भारतीय छात्रों को फ्रांस में उनके चुने हुए पाठ्यक्रम में दाखिला देने से पहले, प्रतिष्ठित फ्रांसीसी विश्वविद्यालयों में फ्रांस की भाषा फ्रेंच सिखाई जाती है और स्थानीय कार्यप्रणाली के बारे में पढ़ाया जाता है.

Tulsi Gabbard US New Director Of National Intelligence: अमेरिकी सीनेट ने तुलसी गबार्ड के अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग में निदेशक के रूप में नियुक्ति की मंजूरी दे दी है. गबार्ड को अब अपदस्थ सीरियाई नेता बशर अल-असद के साथ उनकी 2017 की बैठक और क्रेमलिन का पक्ष लेने पर सीनेट में सवालों का सामना करना पड़ा. गबार्ड ने 52-48 फ्लोर वोट से जीत हासिल की.
कौन हैं तुलसी गबार्डतुलसी भारतीय मूल की हैं. तुलसी भारत की बड़ी समर्थक मानी जाती हैं और खुलकर भारत के समर्थन में बयान देती रही हैं. तुलसी गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में हुआ था. तुलसी गबार्ड की मां को हिंदू धर्म में काफी रुचि थी. इसलिए उनकी मां ने उनका नाम तुलसी रखा दिया. तुलसी गबार्ड ने हिंदू धर्म अपनाया है. गबार्ड ने अमेरिका की सेना में रहते हुए इराक में सेवाएं दीं थी.
तुलसी अमेरिका की पहली हिंदू सासंद हैं. तुलसी गबार्ड डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व नेता थी और कमला हैरिस की मुखर विरोधी रही हैं. तुलसी ने साल 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ी थी. बाद में वह रिपब्लिकन में शामिल हो गईं.पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय सीरिया के गृह युद्ध में सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ भी वो बोल चुकी हैं और यहां तक कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अमेरिका के सहयोगी यूक्रेन पर आक्रमण करने तक को सही ठहराया था.
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया विभाग में निदेशक बनाने के ऐलान पर अमेरिका में कहा जा रहा था कि तुलसी के पास ख़ुफ़िया कार्य का सीधा अनुभव बहुत कम है और ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें इस पद नियु्क्त नहीं किया जाएगा. बता दें कि जिस विभाग में तुलसी को निदेशक बनाया गया है, वह 18 जासूसी एजेंसियों की देखरेख करता है.

पीएम नरेन्द्र मोदी बुधवार को फ्रांस की अपनी दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद अमेरिका के लिए रवाना हो गए जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में शिरकत की. मैक्रों के साथ उन्होंने द्विपक्षीय चर्चा भी की. अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. जनवरी में ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद पीएम मोदी ट्रंप से मिलने वाले चौथे विदेशी नेता होंगे.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में पिछले साल प्रदर्शनों और उसके बाद बांग्लादेशी हिंदू, अहमदिया मुस्लिम और स्वदेशी समुदायों के कुछ सदस्यों को मानवाधिकार उल्लंघन का सामना करना पड़ा. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बांग्लादेश की पूर्व सरकार, सुरक्षा और खुफिया सेवाएं, अवामी लीग पार्टी से जुड़े हिंसक तत्वों के साथ मिलकर पिछले साल के छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान व्यवस्थित रूप से कई गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों में शामिल थीं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद, ‘‘हिंदुओं के घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और उपासना स्थलों पर व्यापक हमले हुए, विशेष रूप से ग्रामीण और तनाव वाले क्षेत्रों जैसे ठाकुरगांव, लालमोनिरहाट, दिनाजपुर, सिलहट, खुलना और रंगपुर जैसे अन्य स्थानों पर हमले हुए.
इसमें कहा गया है, ‘‘हिंदुओं, अहमदिया मुसलमानों और चटगांव पहाड़ी इलाकों के मूल निवासियों को भी मानवाधिकारों के हनन का सामना करना पड़ा जबकि अलग-अलग धार्मिक और मूल निवासियों पर हमलों के बारे में लगभग 100 गिरफ्तारियां की गई हैं. इसके अनुसार एक साक्षात्कारकर्ता ने कहा कि ठाकुरगांव में हिंदू अंत्येष्टि स्थलों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई.
अन्य गवाहों ने बताया कि उनकी संपत्ति पर हमलों के बाद, सांप्रदायिक हिंसा के डर से उन गांवों के लगभग 3,000-4,000 हिंदुओं ने भारत की सीमा के पास शरण ली. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित परिवारों ने व्यापक असुरक्षा की भावना और भारी वित्तीय नुकसान की बात कही है.
इसके अनुसार हिंसक भीड़ द्वारा हिंदू प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के कई आरोप सामने आए. रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में उपासना स्थलों, विशेषकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमलों का लंबा रिकॉर्ड रहा है. इसके अनुसार पांच से 15 अगस्त के बीच, मीडिया और अन्य स्थानीय स्रोतों ने कई क्षेत्रों में हिंदू, अहमदिया, बौद्ध और ईसाई समुदायों से जुड़े उपासना स्थलों पर हमलों की सूचना दी. इसमें कहा गया है कि मेहरपुर में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के मंदिर में भी आगजनी की गई.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि बांग्लादेश में पिछले साल गर्मियों में छह सप्ताह के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए प्रदर्शनों पर की गई कार्रवाई में 1,400 से अधिक लोगों की मौत होने की आशंका है.
जिनेवा स्थित कार्यालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सुरक्षा और खुफिया सेवाएं “व्यवस्थित रूप से” अधिकारों के उल्लंघन में संलिप्त हैं, जो मानवता के खिलाफ अपराध हो सकते हैं और इनकी जांच की आवश्यकता है.
मानवाधिकार कार्यालय ने ‘‘विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों का हवाला देते हुए कहा कि एक जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुए प्रदर्शनों में 1,400 से अधिक लोगों के मारे जाने और हजारों लोगों के घायल होने की आशंका है.
बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भारत चली गईं थीं और पिछले साल पांच अगस्त से वह वहां हैं. इन व्यापक प्रदर्शन के बाद उनकी अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई थी. इसके बाद मोहम्मद यूनुस ने आठ अगस्त, 2024 को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कार्यभार संभाला था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने दावा किया कि विरोध- प्रदर्शनों को दबाने के लिए राजनीतिक नेतृत्व और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की जानकारी और समन्वय से “न्यायिक हत्याएं, व्यापक रूप से मनमाने ढंग से लोगों को गिरफ्तार किया गया.

Aero India 2025: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी ने आज एयरो इंडिया 2025 में अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस (Adani Defence and Aerospace) के स्टॉल का दौरा किया. उन्हें अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष राजवंशी ने स्टॉल में लगे हथियारों की जानकारी दी. उन्होंने खासकर भविष्य की टेक्नोलॉजी और आधुनिक हथियार दिखाए. अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के स्टॉल पर मुख्य आकर्षण व्हीकल-माउंटेड काउंटर-ड्रोन सिस्टम है. इसे कंपनी ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर विकसित किया है.
स्टॉल पर डिफेंस की चार लेयर में भविष्य के हथियार दिखाए गए हैं, जिसमें सुरक्षा, खतरे का पता लगाना, निष्क्रिय करना और राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा में एआई का उपयोग शामिल है.अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष रघुवंशी ने कहा, हम जिन भी क्षमताओं को हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें यहां प्रदर्शित किया गया है. इसमें ड्रोन से लेकर छोटे हथियार, गोला-बारूद, मिसाइलें, सतह-निर्देशित मिसाइलें और सबसे महत्वपूर्ण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस उन्नत मशीनरी शामिल हैं.
लैंड सिस्टम्स के प्रमुख अशोक वाधवान ने कहा, हमारा लक्ष्य रक्षा बलों का रणनीतिक भागीदार बनना है. हमारा ध्यान भविष्य की टेक्नोलॉजी विकसित करने पर है, जो उनकी अपेक्षाओं से परे हों. यदि वे किसी क्षमता की कल्पना कर सकते हैं, तो हम इसे वास्तविकता में बदलना चाहते हैं और भारत में उन उन्नत प्रणालियों का निर्माण करना चाहते हैं.
डिस्प्ले के बारे में विवरण प्रदान करते हुए, वाधवान ने विस्तार से बताया, हमने अपनी तकनीक को चार परतों में स्ट्रक्चर किया है. पहली परत सुरक्षा पर केंद्रित है, जिसमें प्रारंभिक निगरानी और खतरे का पता लगाने के लिए डिजाइन किए गए मानव रहित वाहन और मानव रहित पानी के नीचे की प्रणालियां शामिल हैं. दूसरी परत पहचान है, जिसमें हवाई निगरानी प्लेटफार्मों में परिवर्तित विमान शामिल हैं, जो आकाश में हमारी आंखें हैं. हम जमीन, हवा और पानी के नीचे के क्षेत्रों में डिटेक्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. तीसरी परत न्यूट्रीलाइजेशन है, जिसमें घूमती हुई वस्तुएं, मिसाइलें और अन्य गोला-बारूद शामिल हैं. अंतिम परत में उन्नत हथियार शामिल हैं.
वाधवान के मुताबिक, इसके अलावा हम बलों की सुरक्षा के लिए डिजाइन किए गए एआई संचालित समाधानों का प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारा प्राथमिक ध्यान भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना पर है, हालांकि, निर्यात भी हमारी रणनीति का हिस्सा है. हालांकि, हमारी प्राथमिकता हमारी देश की सेनाएं हैं. उन्होंने आगे कहा कि हम सरकारी डिफेंस कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की बजाय उनके साथ साझेदारी कर रहे हैं.

पीएम मोदी की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक ‘प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों का अपना घर मिलने का सपना साकार हो रहा है. पीएम आवास योजना से मध्य प्रदेश के नीमच में कई लोगों की जिंदगी में बदलाव आया है. प्रधानमंत्री आवास योजना से ग्रामीण व शहरी गरीब और जरूरतमंद परिवारों को पक्के मकान का सपना पूरा किया गया है. नीमच जिले के जावद तहसील के डीकेन नगर परिषद में लगभग एक हजार से अधिक परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान का सपना पूरा हुआ है. अपने खुद के पक्के आवास पाकर लाभार्थियों के चेहरे भी खिल उठे हैं. उन्होंने पक्का आवास मिलने पर पीएम मोदी और केंद्र सरकार का आभार जताया है.
लाभार्थी हरिओम जोशी ने बताया कि मैं पहले वार्ड नंबर-3 में स्थित कच्चे मकान में रहता था, लेकिन अब हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नया मकान बनाया है. हमारी ख्वाहिश थी कि हम भी नया मकान बनाएंगे. इसी दौरान मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला और फिर उसका लाभ उठाया. इस योजना के तहत हमें 2.5 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली थी, जिसके जरिए हमारा मकान बन पाया है.
उन्होंने कहा, अब हम काफी खुश हैं और हमें अच्छा महसूस हो रहा है. मेरे जैसे और भी कई भाई हैं, जिनको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है. मैं इस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभार व्यक्त करता हूं, जिनकी वजह से पक्के मकान का सपना साकार हो पाया है.
महिला विशनी बाई ने बताया कि वह पहले कच्चे मकान में रहती थीं और बरसात होने पर उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती थी. नगरपालिका की तरफ से इस योजना के बारे में पता चला और उसके बाद उन्होंने इस योजना के लिए फॉर्म भरा. मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.5 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली, जिससे मेरा मकान पक्का बन पाया है. मैं पीएम मोदी का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी वजह से मुझे गैस कनेक्शन, शौचालय और पक्का मकान जैसी सुविधाएं मिल पाई हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना ने गरीब और जरूरतमंद लोगों को न केवल आवासीय सुरक्षा दी है, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता और आत्मनिर्भरता भी लाई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए जीवन का एक नया अध्याय साबित हो रही है. इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के परिवारों को किफायती और टिकाऊ पक्के मकान उपलब्ध कराना है.

अस्सी के दौर में सनी देओल और अमृता सिंह ने एक साथ बड़े पर्दे पर डेब्यू किया था. इस जोड़ी ने पहली फिल्म के तौर पर बेताब को चुना. बेताब राहुल रवैल के डायरेक्शन में बनी एक एक्शन रोमांटिक फिल्म थी जिसमें सनी और अमृता दोनों ने ही कमाल कर डाला था. 1983 में आई ये फिल्म उस साल की सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी और इसके गाने भी खूब पसंद किए गए थे. कुछ साल पहले कपिल शर्मा शो पर जब अमृता सिंह ने पहली फिल्म को लेकर बात की तो सनी देओल का भी जिक्र छिड़ा. ऐसे में अमृता ने सनी संग रोमांटिक सीन को लेकर कई सारे खुलासे किए.
बेताब में सनी का शर्मीलापन देखकर हैरान हो गई थी अमृता सिंह
Amrita Singh shared some beautiful memories of her and #SunnyDeol during the film #Betaab
Actually, at that time #AmritaSingh wanted to flirt a little with Sunny Deol
becoz sunny sir looked very handsome at that time but she could not do it????
becoz #SunnyDeol was very shy ???? pic.twitter.com/BiQTlrSZ29
कपिल शर्मा ने अमृता सिंह से कहा कि सनी देओल आज भी काफी शर्मीले हैं. कपिल ने अमृता सिंह से कहा कि आपने उनके साथ पहली फिल्म की थी और उनके साथ रोमांटिक सीन करने में आपको कैसा एक्सपीरिएंस रहा. इस पर अमृता सिंह ने कहा कि बेताब हम दोनों की ही पहली फिल्म थी. बात तो सनी देओल पहले भी बिलकुल नहीं करते थे और अब भी बिलकुल बात नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि पता नहीं सनी देओल को क्या परेशानी है, वो बिलकुल बात नहीं करते थे. वो काफी रिजर्व्ड और शाई नेचर के हैं. इतना अजीब लगता है क्योंकि मैं शर्मीले नेचर की नहीं हूं. ऐसे में जब मैं सेट पर गई और पूछा कि हीरो कौन है, मैं या ये. दरअसल वो किसी को देखता ही नहीं था. सिर को नीचे किए रहता था.
डायरेक्टर कहते थे ऊपर देखो
अमृता सिंह ने कहा कि सनी देओल का शर्मीलापन देखकर डायरेक्टर राहुल रवैल कहते थे कि ऊपर देखो, अरे ऊपर देखो, लड़की को देखो, प्यार करो, तुम डरे डरे क्यों रहते हो. लेकिन सनी बेचारे डर डर कर सीन देते थे. इस पर कपिल शर्मा शो में काफी ठहाके लगे. आपको बता दें कि अमृता सिंह और सनी देओल उस वक्त काफी फ्रेश चेहरे के रूप में फिल्म में आए और आते ही छा गए. फिल्म में सनी और अमृता की जोड़ी के साथ शम्मी कपूर, निरूपा रॉय, प्रेम चोपड़ा जैसे कलाकार थे. फिल्म का म्यूजिक आर डी बर्मन ने दिया था और फिल्म के कई गाने आज भी लोगों के फेवरेट बने हुए हैं.

64 साल का हीरो. फिल्म का बजट 50 करोड़ रुपये. लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 250 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन कर चुकी है. यही नहीं, इस हीरो की ये फिल्म भारतीय सिनेमा की साल 2025 की पहली ऐसी फिल्म रही है जो ब्लॉकबस्टर कहलाई. ये फिल्म बॉलीवुड से तो कतई नहीं है. और तो और, इस फिल्म के जो हीरो हैं, ये फिल्म उनके करियर की सबसे कामयाब फिल्म भी बन गई है. क्या कुछ अनुमान लगा पाए आप? अगर नहीं तो हम आपको बताए देते हैं कि ये फिल्म है संक्रांतिकी वस्तुनम. जो संक्रांति के मौके पर रिलीज हुई थी.
संक्रांतिकी वस्तुनम में वेंकटेश लीड रोल में हैं जबकि फिल्म का निर्देशन अनिल रविपुडी ने किया है. इस तेलुगू फिल्म में वेंकटेश के अलावा मीनाक्षी चौधरी, ऐश्वर्या राजेश, श्रीनिवास रेड्डी और साई कुमार हैं. संक्रांतिकी वस्तुनम एक मिड बजट फिल्म थी, लेकिन यह 2025 की भारतीय सिनेमा की पहली ऐसी ब्लॉकबस्टर बनी जिसने 250 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया. फिल्म को देश और विदेश दोनों ही जगह अच्छा रिस्पॉन्स मिला है.
संक्रांतिकी वस्तुनम की हकानी एक मैरिड कपल की कहानी है. जिनकी लाइफ में एक्स की एंट्री से उथल पुथल मच जाती है. जो हीरो से एक किडनेपिंग केस को सॉल्व करने में मदद मांगती है. फिल्म में वेंकटेश और ऐश्वर्या राजेश मैरिड कपल हैं. जबकि एक्स के रोल में मीनाक्षी चौधरी हैं. बता दें कि वेंकटेश की पिछली फिल्म सैंधव बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी और असफल रही थी. लेकिन ये उनके करियर की सबसे कामयाबी फिल्मों में से एक बन गई है.

जब से सोशल मीडिया आया है, तब से लोगों की जिंदगी में मनोरंजन का दायरा बढ़ गया है. टैलेंट के साथ-साथ सोशल मीडिया पर मजेदार कंटेंट भी लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर रहे हैं. सोशल मीडिया की वजह से हमें फिल्मी सितारों के ढेरों डुप्लीकेट भी देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ सोशल मीडिया अजय देवगन और शाहरुख खान के डुप्लीकेट की भरमार है तो, वहीं अब एक-एक कर नए पुराने अभिनेताओं के हमशक्ल भी सामने आते जा रहे हैं. अब सिनेमाई सितारों के डुप्लीकेट की रेस में बॉलीवुड के तारा सिंह यानि सनी देओल के भी डुप्लीकेट शामिल हो गये हैं. खुद को जूनियर सनी देओल कहने वाले इस शख्स का वीडियो देखने के बाद आप असली और नकली सनी देओल में फर्क नहीं कर पाएंगे.
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आप देखेंगे कि सेल्फी वीडियो में जूनियर सनी देओल बॉलीवुड वाले सनी देओल की फिल्म इंडियन के एक डायलॉन्ग पर लिप सिंक कर रहा है. इस सीन में सनी देओल एक बड़े राजनेता को अपने ऑफिस में बुलाकर उसकी जमकर धुनाई करते हैं और उससे देश का इतिहास पूछते हैं, यहां तक कि यह राजनेता देश का राष्ट्रीय गीत तक भी नहीं जानता है. इस डायलॉग को जूनियर सनी देओल ने अपने अंदाज में कॉपी किया है. देखने में यह शख्स बाल, आंख और नाक यानि हूबहू सनी देओल की तरह दिख रहा है. अब जूनियर सनी देओल के वीडियो पर मजेदार कमेंट्स भी पढ़ लेते हैं.
जूनियर सनी देओल के इस वीडियो पर एक यूजर लिखता है, आधी नींद में जगाया हुआ सनी देओल . दूसरा यूजर लिखता है, कितने ही डुप्लीकेट ले आओ लेकिन रेस में अजय ही जीतेगा . तीसरा यूजर लिखता है, हल्की आंच में पका हुआ सनी देओल . चौथा यूजर लिखता है, इसे कुकर में डालकर दो सीटी और मारो . पांचवा लिखता है, एक तो अजय देवगन से परेशान थे, अब यार सनी देओल भी आ गया . एक और लिखता है, यह सनी नहीं.. फनी देओल है . सनी देओल के डुप्लीकेट को देख लोग ऐसे ही फनी-फनी कमेंट्स पोस्ट कर लोगों को गुदगुदा रहे हैं.

हर तीसरे रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स में एक ही गाना सुनने को मिल रहा है और यह गाना है प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पे, आर्य का आगाज है, ये पावन संगम की धरती, ये प्रयागराज है… ये प्रयागराज है…. राजेश पाण्डेय इन दिनों अपने इस सुपरहिट गाने ये प्रयागराज है से सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. यह गाना उनकी फिल्म प्रयागराज से है, जिसमें अरविन्द अकेला कल्लू मुख्य भूमिका में हैं.
‘ये प्रयागराज है – एक गीत जो बना राष्ट्रीय पहचान
फिल्म प्रयागराज का टाइटल ट्रैक ‘ये तीर्थराज प्रयागराज है इन दिनों पूरे देश में धूम मचा रहा है. इस गाने ने सोशल मीडिया से लेकर धार्मिक आयोजनों तक अपनी जगह बना ली है और प्रयागराज महाकुंभ का एंथम बन चुका है. कुंभ के लगभग सभी रील्स में “ये प्रयागराज है” गाना ही लगा हुआ है. 12 मिलियन से ज्यादा व्यूज़: यूट्यूब पर इस गाने ने 12 मिलियन से अधिक व्यूज़ बटोर लिए हैं. 2 मिलियन से ज्यादा रील्स: इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस गाने पर 2 मिलियन से ज्यादा रील्स बनाए जा चुके हैं.
सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स की पसंद: महाकुंभ और प्रयागराज से जुड़ी पोस्ट्स और वीडियो में यह गाना पहली पसंद बना हुआ है. गाने के गीतकार राजेश पाण्डेय ने इसे खासतौर पर प्रयागराज के पौराणिक महत्व और महाकुंभ को ध्यान में रखते हुए लिखा था. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘तीर्थों का राजा . ‘प्रयाग शब्द का अर्थ पहला यज्ञ होता है, जिसे भगवान ब्रह्मा ने यहीं संपन्न किया था. फिल्म प्रयागराज को दर्शकों ने खूब सराहा, लेकिन इस गाने ने उससे भी अधिक लोकप्रियता हासिल की.
प्रयागराज फिल्म के इस गाने को आलोक कुमार ने अपनी मधुर आवाज़ में गाया है, जबकि इसका संगीत ओम झा ने तैयार किया है. फिल्म का निर्देशन चंदन उपाध्याय ने किया है.
राजेश पाण्डेय के गीतों का जादू
राजेश पाण्डेय भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे प्रतिष्ठित नामों में शुमार हैं. उनका लेखन न सिर्फ कहानियों पटकथा और संवादों तक सीमित है, बल्कि वह एक शानदार गीतकार भी हैं. उनके द्वारा लिखे गए कुछ चर्चित गानों में शामिल हैं:
‘सौतन जर मरे (देसवा) – इस गाने को सुनिधी चौहान ने अपनी दमदार आवाज़ में गाया था और यह सुपरहिट साबित हुआ. ‘हर हर गंगे (हर हर गंगे) – पवन सिंह द्वारा गाया गया यह टाइटल ट्रैक भक्तिमय और ऊर्जावान संगीत का शानदार उदाहरण है. राजेश पाण्डेय, बिहार के छपरा जिले से आते हैं और पिछले 15 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. उन्होंने अपनी लेखनी से कई सुपरहिट फिल्में और गाने दिए हैं, जो दर्शकों और श्रोताओं के दिलों में बस चुके हैं.
‘संकट मोचन हनुमान - एक और भव्य फिल्म
राजेश पाण्डेय की रचनात्मक यात्रा यहीं नहीं रुकती. उनकी अगली फिल्म ‘संकट मोचन हनुमान जल्द ही दर्शकों के सामने आने वाली है. इस फिल्म में भोजपुरी सुपरस्टार अरविंद अकेला कल्लू मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. फिल्म का निर्देशन एक बार फिर चंदन उपाध्याय कर रहे हैं. फिल्म के गानों को ओम झा ने संगीतबद्ध किया है.इस तिकड़ी - राजेश पाण्डेय (लेखन), चंदन उपाध्याय (निर्देशन),और ओम झा (संगीत) ने पहले भी कई हिट प्रोजेक्ट्स दिए हैं, और अब संकट मोचन हनुमान के जरिए एक बार फिर धमाल मचाने को तैयार हैं.
राजेश पाण्डेय भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी लेखनी से नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. उनके लिखे गीत और कहानियां न सिर्फ व्यावसायिक रूप से सफल हो रही हैं, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी गहरी छाप छोड़ रही हैं. “के बनी करोड़पति” का लेखन भी राजेश पाण्डेय ने किया था, जिसे शत्रुघ्न सिन्हा ने होस्ट किया था.

रणवीर अलाहबादिया के बाद इंडियाज गॉट लेटेंट के होस्ट समय रैना ने भी भद्दी भाषा और शो चलाने के लिए माफी मांगी है. हाल ही में इंडियाज गॉट लेटेंट में रणवीर अलाहबादिया, अपूर्वा मखीजा और समय रैना सहित कुछ लोगों ने अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया. जिसके बाद से इन सभी की कड़ी आलोचना की जा रही है. इतना ही नहीं रणवीर अलाहबादिया, अपूर्वा मखीजा और समय रैना के खिलाफ कई जगह शिकायत और समन जारी हुए हैं. ऐसे में अब समय रैना ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी हैं.
उन्होंने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर लिखा, जो भी हुआ है उसको संभालना मुश्किल हो गया है. मैंने इंडियाज गॉट लेटेंट के सभी वीडियो को अपने चैनल से हटा दिया है. मेरा मकसद केवल लोगों का अच्छा टाइम बनाना और उन्हें हंसाना था. मैं सभी एजेंसी के साथ सहयोग करूंगा और जांच करने में मदद करूंगा. सोशल मीडिया पर समय रैना का पोस्ट वायरल हो रहा है.
आपको बता दें कि इंडियाज़ गॉट लेटेंट मामले में महाराष्ट्र साइबर पुलिस की जांच चल रही है. महाराष्ट्र साइबर पुलिस इस शो के पूरे 18 एपिसोड की जांच कर रही है. इन 18 एपिसोड में जितने ज्यूरी आये थे, उनमें से जितने लोगों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, उनके खिलाफ भी करवाई की जाएगी. इस शो में जो ऑडिएंस आये थे, उनका बयान विटनेस के तौर पर दर्ज किया जाएगा. इसमें जितने लोगों ने पार्टिसिपेट किया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, उनके खिलाफ भी करवाई की जाएगी.

पवार ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक समारोह में महादीराज शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया है. मंगलवार को दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर एकनाथ शिंदे को शरद पवार से पुरस्कार मिला. अपने संबोधन में एकनाथ शिंदे ने बताया कि उनके शरद पवार के साथ अच्छे संबंध हैं. ये पुरस्कार सरहद नाम की संस्था देती है. हर साल किसी एक विशिष्ट व्यक्ति को महादीराज शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिया जाता है. इस बार एकनाथ शिंदे को पुरस्कार मिला. दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में आयोजित समारोह में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे. इस दौरान एकनाथ शिंदे ने शरद पवार की और शरद पवार ने एकनाथ शिंदे की भी जमकर तारीफ़ की. अब शरद पवार के हाथों शिंदे को मिले सम्मान के बाद वाद-विवाद शुरू हो गया है.
संजय राउत क्या बोलेशिवसेना उबाठा इस पर गर्म हो गई है. अक्सर शरद पवार की तारीफ़ करने वाले शिवसेना उबाठा के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शरद पवार को ही आज निशाने पर ले लिया. अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए, वरिष्ठ सेना नेता संजय राउत ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि शरद पवार उस समारोह में भाग लेंगे और एकनाथ शिंदे को पुरस्कार देंगे. उन्होंने कहा, पीठ में छुरा घोंपने वाला व्यक्ति, जिसने शिवसेना को धोखा दिया और पार्टी को तोड़ दिया, उसे शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता द्वारा सम्मानित कैसे किया जा सकता है. उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कहा, राजनीतिक नेताओं को दिए जाने वाले ऐसे पुरस्कार या तो खरीदे जाते हैं या बेचे जाते हैं.
शरद पवार को दे डाली सलाहराउत ने कहा कि पवार को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए था, क्योंकि शिंदे ने 2022 में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार को ‘विश्वासघात करके गिरा दिया था. दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में शिवसेना (उबाठा) के राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘राजनीति में कुछ चीजों से बचना चाहिए. कल शरद पवार ने शिंदे को सम्मानित नहीं किया, बल्कि उन्होंने अमित शाह को सम्मानित किया. यह हमारी भावना है. जिसे हम महाराष्ट्र का दुश्मन मानते हैं, उसे ऐसा सम्मान देना महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचाना है. पवार ने अलग तरीके से सोचा होगा, लेकिन ऐसी राजनीति महाराष्ट्र के लोगों को पसंद नहीं आई है.
राकांपा (शरदचंद्र) सांसद अमोल कोल्हे ने एक सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राउत अपनी निजी राय व्यक्त कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में यह कार्यक्रम अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का हिस्सा था. कोल्हे ने कहा, ‘‘शरद पवार ने नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई, हर चीज में राजनीति नहीं लाई जाती. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है. वह कार्यक्रम (स्वागत समिति) के अध्यक्ष हैं. बीजेपी ने दिया ऐसा जवाबभाजपा की शाइना एनसी ने संजय राउत पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है. उन्हें कभी कोई पुरस्कार नहीं मिलेगा, इसलिए वे राष्ट्र गौरव पुरस्कार पर आपत्ति जता रहे हैं. किसी को खुश और गर्व होना चाहिए कि पुरस्कार विजेता मराठी समुदाय से है.
क्या अपने ही बयान भूले राउतशरद पवार नियमित रूप से सुर्खियां बटोरते रहे हैं और अपने अप्रत्याशित कदमों और अपने राजनीतिक अतीत के कारण पाला बदलने की अटकलों को हवा देते रहे हैं. आखिरी बार ऐसा तब हुआ था, जब उन्होंने विधानसभा चुनाव में विपक्ष की हार के कुछ समय बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम की सराहना की थी. इसके साथ ही ये कोई पहला मौक़ा नहीं है, जब शरद पवार अपने किसी विरोधी के साथ मंच साझा करते नज़र आए हैं. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर बाला साहब ठाकरे तक से पवार के व्यक्तिगत रिश्ते जगजाहिर रहे हैं, लेकिन लगता है संजय राउत अपने ही पांच साल पहले दिए उस बयान को भूल गए, जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार को समझने के लिए 100 जन्म लेने होंगे.